इगो
(भाग 3)
पिता को आखिर एक दिन पता पड़ जाता है
की उनकी पत्नी की चाल क्या है वो बस पैसे चाहती वो कुंदन जी को प्यार नहीं करती
ये जानकर कुंदन जी टूट जाते हैं पर अपनी पत्नी को उस वक़्त कुछ नहीं कहा
पर शालिनी से बात ना के बराबर कर दी
शालिनी को कह दिया तुम मानवी को कुछ नहीं कहोगी
क्या मैं मानवी की माँ नहीं ?
पता नहीं तुम्हें खुद से ही मतलब है
ये आप क्या कह रहे है
मेरे सामने अभिनय मत करो बस ये समझो तुम्हें ये सब जानकर भी घर से नहीं निकाला अब तुम घर मे रहोगी जरूर पर मेहमान की तरह
ये सब बात मानवी ने सुन ली
पापा आप मेरी एक बात मानेंगे?
हाँ बोल ना बेटी
आप माँ को दुःखी मत कीजिए
तुझे पता नहीं बेटी उसने क्या खेल खेला मुझे कुछ और कहा अजय के बारे तुम्हें कुछ और कहा
आप माँ को माफ़ कर दीजिए
ये मेरी बदनसीबी थी मैं और अजय दूर हो गए
मैं उसके जवाब का इंतजार करती रहूंगी बूढ़े होने पर भी
ये सुनकर माँ आकर मानवी से माफ़ी मांगने लगी
पता नहीं क्यों मैं ऐसी हो गयी बचपन मे मैं ऐसी नहीं थीं
बचपन मे मुझे प्यार की जगह झिड़की मिली
मुझे कहा जाता इंतजार करो खाना सब खा लेंगे उसके बाद तुम्हें मिलेगा
ये सिलसिला चलता ही रहा
मेरी शादी की उम्र...
पिता को आखिर एक दिन पता पड़ जाता है
की उनकी पत्नी की चाल क्या है वो बस पैसे चाहती वो कुंदन जी को प्यार नहीं करती
ये जानकर कुंदन जी टूट जाते हैं पर अपनी पत्नी को उस वक़्त कुछ नहीं कहा
पर शालिनी से बात ना के बराबर कर दी
शालिनी को कह दिया तुम मानवी को कुछ नहीं कहोगी
क्या मैं मानवी की माँ नहीं ?
पता नहीं तुम्हें खुद से ही मतलब है
ये आप क्या कह रहे है
मेरे सामने अभिनय मत करो बस ये समझो तुम्हें ये सब जानकर भी घर से नहीं निकाला अब तुम घर मे रहोगी जरूर पर मेहमान की तरह
ये सब बात मानवी ने सुन ली
पापा आप मेरी एक बात मानेंगे?
हाँ बोल ना बेटी
आप माँ को दुःखी मत कीजिए
तुझे पता नहीं बेटी उसने क्या खेल खेला मुझे कुछ और कहा अजय के बारे तुम्हें कुछ और कहा
आप माँ को माफ़ कर दीजिए
ये मेरी बदनसीबी थी मैं और अजय दूर हो गए
मैं उसके जवाब का इंतजार करती रहूंगी बूढ़े होने पर भी
ये सुनकर माँ आकर मानवी से माफ़ी मांगने लगी
पता नहीं क्यों मैं ऐसी हो गयी बचपन मे मैं ऐसी नहीं थीं
बचपन मे मुझे प्यार की जगह झिड़की मिली
मुझे कहा जाता इंतजार करो खाना सब खा लेंगे उसके बाद तुम्हें मिलेगा
ये सिलसिला चलता ही रहा
मेरी शादी की उम्र...