...

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तेरी याद में..
फिर एक सिगरेट जला रहा हुँ
फिर एक तिली बुझा रहा हुँ..
तेरी नजर मे ये एक गुनाह है
मै तो तेरी यादेँ भुला रहा हुँ..
समझना मत इसको मेरी आदत
मै तो बस धुआँ उडा रहा हुँ..
ये तेरी यादोँ के सिलसिले है
मै तेरी यादे जला रहा हुँ..
मै पीकर इतना बहक चुका हुँ
की गम के किस्से सुना रहा हुँ..
है मेरी आँखेँ तो आज नम
मगर मै सबको हँसा रहा हुँ..
खोकर अपनी जिन्दगी मेँ
अपने बे-तन्हा प्यार को भुला रहा हुँ..
एक सिगरेट की शमां के बहाने
मै अपने आप को जला रहा हूँ.. .

© Akash dey