बोलते मुर्दें
#WritcoStoryPrompt51 #CovidStories
आज सुबह अखबार पढ़ते ही ख़याल आया नया क्या है आज अखबार में , वही खबरें कोरोना, चुनाव , प्रशासन की लापरवाही , भ्रष्टाचार और बलात्कार , मैंने एक बार में सारे अखबार को सरसरी नज़र से पढ़ कर रखने ही वाली थी कि एक कोने में एक छोटी सी ख़बर पर नजर पड़ी "रचना नगर में वृद्धाश्रम में एक बुजुर्ग ने आत्महत्या की उन्हें एक सप्ताह पहले ही उनके बेटों ने वहां छोड़ दिया था ।" रचना नगर अरे ये तो मेरे दफ्तर के बाजू में ही है याद आया ।
दोपहर लंच के समय सभी ऑफिस वालों ने वद्धाश्रम जाकर सहानुभूति प्रकट करना उचित समझा ,सभी के साथ मैं भी वहां
गई । कुछ बुजुर्गों से बातचीत हुई और ये मालूम हुआ कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से उनके वारिसों द्वारा उन्हें वहां छोड़ा गया है , वो बच्चे , रिश्तेदार जिन्हें उम्र के इस पड़ाव पर उनकी लाठी बनना था उन्होंने, उन्हें बोझ मान कर इस वृद्धाश्रम में छोड़ दिया है ,हृदय से मृत ,पथरायी आँखे और सूखे नेत्रों वाले इन बुजुर्गों को देखकर ये महसूस हो रहा था कि जैसे यहां बस मैं और मेरे सहकर्मी ही जीवित है और मैं इन्सानों से नहीं मुर्दों से बात कर रही हूँ
© dilserearchu
आज सुबह अखबार पढ़ते ही ख़याल आया नया क्या है आज अखबार में , वही खबरें कोरोना, चुनाव , प्रशासन की लापरवाही , भ्रष्टाचार और बलात्कार , मैंने एक बार में सारे अखबार को सरसरी नज़र से पढ़ कर रखने ही वाली थी कि एक कोने में एक छोटी सी ख़बर पर नजर पड़ी "रचना नगर में वृद्धाश्रम में एक बुजुर्ग ने आत्महत्या की उन्हें एक सप्ताह पहले ही उनके बेटों ने वहां छोड़ दिया था ।" रचना नगर अरे ये तो मेरे दफ्तर के बाजू में ही है याद आया ।
दोपहर लंच के समय सभी ऑफिस वालों ने वद्धाश्रम जाकर सहानुभूति प्रकट करना उचित समझा ,सभी के साथ मैं भी वहां
गई । कुछ बुजुर्गों से बातचीत हुई और ये मालूम हुआ कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से उनके वारिसों द्वारा उन्हें वहां छोड़ा गया है , वो बच्चे , रिश्तेदार जिन्हें उम्र के इस पड़ाव पर उनकी लाठी बनना था उन्होंने, उन्हें बोझ मान कर इस वृद्धाश्रम में छोड़ दिया है ,हृदय से मृत ,पथरायी आँखे और सूखे नेत्रों वाले इन बुजुर्गों को देखकर ये महसूस हो रहा था कि जैसे यहां बस मैं और मेरे सहकर्मी ही जीवित है और मैं इन्सानों से नहीं मुर्दों से बात कर रही हूँ
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