...

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#क्यों....?
#क्यों....?
पता नही क्यों आज सब कह रहे हैं कि तुमने खुदकुशी की है आत्महत्या किया है तुमने...
पर मुझे ये आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या दिख रही है। मेरी नज़रें देख पा रही हैं, आज एक बूढ़ी माँ की ममतामयी आत्मा की हत्या हुई है, एक कमजोर पिता के सपने का कत्ल हुआ है, बेरहमी से ये कत्ल किसी और ने नहीं बल्कि खुद उनके ही आँख के तारे (खुद तुमने) ने किया है।
आज हत्या हुआ है बहनों की राखी का, एक भाई के दुलार का, अरे तुम क्या जानो कि कितनों के दिलों की मोहब्बत का कत्ल हुआ है आज,

#किसी_के_खुशियों_का_संसार_थे_तुम (पिता)
#किसी_के_लाज_के_पहरेदार_थे_तुम ! (बहन)
#तुमने_जाना_ही_नहीं_दर्द_नौ_महीने_का,
#किसी_के_खून_के_कर्जदार_थे_तुम ! (माँ)

आज क्यों दुनिया को सिर्फ ये दिख है कि तुम्हारी ज़िन्दगी में कितना दर्द होगा जिससे तुमें आज ये फैसला लेना पड़ा क्यों.. हां जिस तरह तुम अपने दिल में अपना सारा दुख छुपाकर तुम बनावटी मुस्कुराहट लिए जीते रहे सच में ये सराहनीय था पर ये जो आज किया तुमने वो सराहनीय नहीं है...।
आज सबके दिल में तुम्हारे प्रति हमदर्दी है पर मेरे दिल में नहीं। एक वक़्त था जब मेरे दिल में भी तुम्हारे लिये एक प्यार था, हीरो नम्बर 1 की जगह थी, पर आज तुमने तुम्हारे एक फैसले से वो जगह खो दी है। क्यों इतने रिश्तों का कत्ल किया, तुमने एक बार इनके बारे में सोचा क्यों नहीं, एक बार इनका ख्याल अपने मन में लाते और अपना सारा दुख अपने अंदर ही मार कर अपनी ज़िन्दगी काश तुम तुम्हारे अपनों के लिए जीते।

ज़िन्दगी में दुख, दर्द, नाकामयाबी कितने भी हों दोस्तों लेकिन ये आत्महत्या करने की नहीं सोचना क्यों कि ये आत्महत्या नहीं अपने से जुड़े हर रिश्ते की हत्या है।
#वज़ह