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यादें लाइब्रेरी वाली
यादें

लाइब्रेरी, ये शब्द सुनते ही ऐसे लगता है की किसी ने यादों की अलमारी को खोल दिया,
वही अलमारी जिसे मन में कहीं छुपा के रखा है।
जब भी वो अलमारी खुलती है तो वो सब कॉलेज के दिन याद आ जाते हैं।
लाइब्रेरी उन दिनों रोजाना की दिनचर्या का हिस्सा होती थी।
कितनी छोटी छोटी और मामूली सी बातें भी अब बहुत खास लगती हैं।
मैं और मेरी...... भी अक्सर यहीं मिला करते थे घंटो बैठ कर...