तुम दो इजाज़त अगर
तुम दो इजाज़त अगर तो कुछ लिखना चाहता हूं..
तुम्हारी हर खुशी हर गम को एक अलग मोड़ देना चाहता हूं
जो बीत गया वो कल था...
मैं तुम्हारे आज में जीना चाहता हूं...
सुनो थोड़ा करीब आओगी क्या
तुम्हें तुमसे चुराना चाहता हूं...
देखे हैं कई ख्वाब मैंने भी...
पर उन्हें अकेले नहीं तुम्हारे साथ पूरा करना चाहता हूं...
तुम दो इजाज़त अगर तो कुछ लिखना चाहता हूं
मिले होंगे तुम्हें भी कुछ लोग खास
मिले होंगे हमें भी...
तुम्हारी हर खुशी हर गम को एक अलग मोड़ देना चाहता हूं
जो बीत गया वो कल था...
मैं तुम्हारे आज में जीना चाहता हूं...
सुनो थोड़ा करीब आओगी क्या
तुम्हें तुमसे चुराना चाहता हूं...
देखे हैं कई ख्वाब मैंने भी...
पर उन्हें अकेले नहीं तुम्हारे साथ पूरा करना चाहता हूं...
तुम दो इजाज़त अगर तो कुछ लिखना चाहता हूं
मिले होंगे तुम्हें भी कुछ लोग खास
मिले होंगे हमें भी...