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Beti : Kahani ek beti ke jeevan ki
Kahani

ek beti ke jeevan ki



स्नेहा एक ऐसे घर की बेटी थी। जिसके मां बाप बहुत ही गरीब थे। गरीबी के कारण उन्होंने अपनी बेटी की शादी सिर्फ 21 साल की उम्र में ही कर दी थी। बेटी ससुराल चली गई। कुछ महीनों बाद वह प्रेग्नेंट हुई तो ससुराल वाले इसी चिंता में आ गए कि बेटा होगा या बेटी ? इनकी चाहत सिर्फ बेटा होना था जो कि इनके वंश को आगे बढ़ा सके।


स्नेहा की प्रेगनेंसी को 3 महीने होने चले थे। स्नेहा के ससुराल वालों ने एक ऐसे डॉक्टर से बात की जो उस बच्चे का जेंडर बता सके कि वह बेटा है या बेटी। चेकअप के बहाने स्नेहा को उसके क्लीनिक ले जाया गया। डॉक्टर जो भी जानकारी देते उसे कोड वर्ड में बताते। बेटा होता तो जय श्री कृष्णा कहते और यदि बेटी होती तो जय माता दी कहते। जिससे सामने वाला समझ जाए कि बेटा है या बेटी।


जब स्नेहा को क्लीनिक ले जाया गया तो चेकअप के थोड़े समय बाद पता चला कि स्नेहा की कोख में पलने बाला बच्चा एक बेटी है। स्नेहा को बिना बताए डॉक्टर ने उसे एक इंजेक्शन दिया। जिसके कारण उसका बच्चा गिर गया और इस बारे में स्नेहा को कुछ भी पता नहीं चला कि आखिर उसके साथ हुआ क्या था ?



बेटी होने के कारण स्नेहा की सास उसे कई सारी बुरी - बुरी गाली देती, नौकरानी जैसे व्यवहार करती और काम कराती प्रेगनेंसी के दौरान भी उसकी सास उस पर जरा भी लिहाज नहीं करती और उसके साथ नौकरानी जैसा व्यवहार करती। बार-बार उसे काम के लिए परेशान करती और ताने देती एक बेटा नहीं दे सकती तू…

ऐसा होते होते उसे 5 साल हो गए...