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वंशिका – मोहब्बत का सफ़र
Title : वंशिका – मोहब्बत का सफ़र (पहला भाग)
Category : Love, Fantasy, Family

वंशिका बहुत ही गुस्सैल स्वभाव की लड़की थी, उसकी आंखों में गुस्सा साफ झलकता था। हालांकि वह दिल की बहुत अच्छी थी और उसके दिल में बड़ों के लिये सम्मान व छोटों के लिये प्यार भरा हुआ था। वंशिका ने बचपन से ही मुश्किलों का सामना किया था, वह एक गरीब परिवार की लड़की थी और उसके घर में बहुत कम सुख-सुविधायें थी। दो भाईयों की बड़ी बहन वंशिका अपने छोटे भाईयों के लिये किसी योद्धा से कम नहीं थी, वह हर समय लड़ती रहती थी और उसका गुस्सा हमेशा चरम पर रहता था। उसके दोनों भाई अमित और वरुण उससे बहुत प्यार करते थे व उसे राजकुमारी की तरह रखते थे। उसकी गालियां बर्दाश्त करते थे और कभी-कभी तो मार भी खा लेते थे। इतना गुस्सैल स्वभाव होने के बावजूद भी वे उसकी सेवा करते रहते थे, जैसे – उसके कपड़े प्रेस करना और उसके लिये पानी गर्म करना। वंशिका ने अपनी पढ़ाई सरकारी स्कूल से पूरी की, आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण प्राइवेट स्कूल में पढ़ना उसके लिये सपने जैसा था। वंशिका बहुत ही होनहार लड़की थी, वह हर क्लास में प्रथम श्रेणी से पास होती थी। उसे खेलों में भी काफी रूचि थी, उसने कई तहसील स्तरीय और जिला स्तरीय खेलों में पदक जीते थे लेकिन उसका सपना खेलों में पदक जीतना नहीं बल्कि कुछ और था। वह पढ़-लिखकर आईपीएस अधिकारी बनकर अपने परिवार की स्थिति सुधारना चाहती थी और यही उसका एकमात्र लक्ष्य था। उसने बाहरवीं कक्षा तक गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की लेकिन आगे की पढ़ाई के लिये उसे शहर जाना पड़ेगा और यह बात वंशिका के परिवार के लिये सिरदर्द बन गई। परिवार के लिये लड़की को शहर भेजना आसान काम नहीं था क्योंकि वहां पढ़ने, रहने और खाने का खर्च उनकी आमदनी से बहुत ज्यादा था लेकिन वंशिका हार मानने वालों में से नहीं थी, उसने ठान लिया था कि उसे पढ़कर आईपीएस अधिकारी बनना है। वंशिका की पढ़ाई में रूचि देखकर उसकी माताजी ने उसका साथ दिया और अपने गहने बेचकर उसे पढ़ाने का फैसला लिया। वंशिका की माताजी के पास बहुत कम जेवर थे, उन्होंने सारे जेवर बेचकर वंशिका के लिये पैसों का इंतज़ाम किया और उसे पढ़ने के लिये शहर भेजा। उन्होंने उसे बीए (बैचलर ऑफ आर्ट्स) के लिये कॉलेज में एडमिशन दिलाया और बीए के साथ आईपीएस की तैयारी करने के लिये सर्वश्रेष्ठ शिक्षण ऐप से आईपीएस का ऑनलाइन कोर्स खरीदकर दिया, उसके रहने की व्यवस्था एक प्राइवेट गर्ल्स हॉस्टल में करके दी। वंशिका ने शहर में रहकर पढ़ाई शुरू की, कुछ महीनों तक उसका पढ़ाई में बिलकुल भी मन नहीं लगा क्योंकि उसको हर समय परिवार की याद आती रहती थी और घर जाने का मन करता रहता था, वंशिका की माताजी सुबह-शाम फोन करके उससे बातें करती थी ताकि उसका मन लगा रहे और वह अच्छी तरह से पढ़ती रहे। समय बीतता जा रहा था और वंशिका भी मन लगाकर पढ़ाई कर रही थी, वह सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करती और फिर तैयार होकर कॉलेज जाती, कॉलेज से लौटाने के बाद भी वह पढ़ाई करती, यह उसकी रोजाना...