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लापता लेडीज़
कल मौका मिला या कहूं फुरसत मिली तो एक फिल्म देखी... "लापता लेडीज़" देख कर लगा जैसे पुराना सिनेमा आज भी जीवंत है।
बेहतरीन कथा , श्रेष्ठ अभिनय, कमाल निर्देशन.. देख कर ऐसा लगा जैसे बासु चटर्जी की निर्देशित कोई कहानी देख रहे हैं। केवल एक दो कलाकारों को छोड़ कर सभी कलाकार नए थे, मगर इतने सशक्त अभिनय से लग ही नहीं रहा था कि कोई किरदार निभा रहे हैं लग रहा था जैसे किसी आसपास के गांव के वासी हैं ।
बिना किसी प्रवचन या द्विअर्थी संवाद या बिना किसी अश्लील दृश्य दिखाए कोई समाज को दिशा दिखाती फिल्म भी बनाई जा सकती है यह आभास इस फ़िल्म को देख कर होता है।
कहानी शहर में रहने वाले लोगों को,आज के परिवेश में शायद सत्य न लगे पर कुछ बरस पहले तक ऐसा होता था या शायद दूर दराज कहीं आज भी ऐसा होता होगा, पर अच्छी बात यह है कि इसे देख कर सकूं मिलता है कि अच्छे लोग अभी भी ज़िंदा हैं जो लोगों की मजबूरी का फायदा नहीं उठाते , बल्कि मदद करते हैं।
कहानी बता दूंगी तो आप शायद वो सकून अनुभव नहीं कर पाएंगे। अच्छा सिनेमा देखने के शौकीन हैं तो जरूर देखिएगा #LapataaLadies
© Geeta Dhulia