हां मैं लड़की हूं!
बहुत छोटी थी जब अक्सर गांव की औरते कह दिया करती थीं
सब कितना अच्छा है,पढ़ने में तीनों लड़कियां इतनी अच्छी हैं।
सुंदर भी हैं,पर भगवान ने कितना बुरा किया इनके साथ,बेचारी को एक भाई नहीं दिया।
बेचारी लड़कियां एक भाई हो जाता तो कितना अच्छा होता।
नतीजतन मुझे पुरुषों से नफरत हो गई।और मैं चाह कर भी किसी लड़के से तमीज़ से पेश आने में नाकाम रही ।
मेरे बालक मन को बस इतना समझ आता था की इनकी वजह से मेरे पूरे वजूद को नकारा जा रहा है।मैने वो सब किया जो एक पुरुष कर सकता है। खुद को इस कटघरे...