...

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काश कोई तो आजाये •••
आज अकेलेपन का और जादा एहसास हुआ
थोड़ा कैद, थोड़ा सा बंदिशों का एहसास हुआ
अंधेरों में घुटन, जैसे नंगे पाव में काटो की चुभन,
ना किसी ने साथ निभाया था
ना किसी ने अपनाया था
बस बेमतलब के अल्फाजों में मेरी अहमियत को दफनाया गया था,
थोड़ा सा थक हारकर जब आसुओं को समेटा करतीं थीं, आखिरी दुख है....यहि भ्रम खुदको दिया करती थी ,
दूसरों की खुशी के लिए, हर तरीके अपनाया करती थी,
लेकिन जब बात मेरी तकलीफों की आती, तो मामूली बात कहकर सब पीछे हट जाया करते ...
घर से तो हमेशा बेगानी सी रहीं
और बाहर की दुनिया से डरती रहीं
ना कैद में रहा जाता , ना बाहर की भीड़मे
जाया जाता ,
ये दिल अब हर किसी से खौफ़ खा रखा ,
काश कोई तो आजाये और मेरी डरी हुई आखों में हिम्मत की रोशनी लादे,
कोई तो हो जो मेरा हाथों को कभी ना छोड़ने का वादा करदे,
जो हो तो हो सिर्फ मेरा, जिसका साया पाकर में किसी से ना दरु, जो मुझे इस कैद से आजाद कर, सपनो को उड़ने का मौका दे
मेरे आसुओं के बदले मुझे खुशी के पल देदे ,मेरे लिए जो सबसे लड़ जाए, ऐसा हसीन कल देदे...
जैसे राम सिया के...
जैसे कृष्ण राधा के
जैसे गौरी शंकर के,
तैसे वो मेरा होके ••••


काश कोई तो आजाये


© Angelite** :)