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मददगार रहो
वो स्कूल के दिन थे।मैं वैसे ही रोज का आटो से घर जा रहा था।सब वैसा ही था कुछ खास नहीं। लेकिन आधा रास्ता पार ही हुआ तो आटो वाले ने एक बच्चे को रोड पर देखा।उसने भी आटो रोक उसकी मदद के लिए उसे कहा ," घर जाओ "। मैंने देखकर इगनोर किया।

लेकिन तब ही सोचा ऐसा कुछ मेरे साथ होता तो। उस बच्चे की जगह मैं होता तो। तब ही मैंने आटो वाले को रुकने को कहा। फिर उसे पैसे दे,मैं उस बच्चे की तरफ चल गया।

मैं उसके पास जा कर पूछाँ," बेटा! आपका नाम क्या है "। वो परेशान था और बस अपने पापा का ही नाम लिए जा रहा था। वो कह रहा था," मेरे पापा वहाँ गए हैं। हाँ! मैं जानता हूँ कि वो बच्चा गुम गया है और अपने पापा को ही खोजे जा रहा है। मैंने उसे लिया और उस तरफ चल पड़ा जिस तरफ से वे बच्चा आया था।

मुझे जो भी रास्ते में मिला ,मैंने उससे यही पूछाँ," आप इस बच्चे को जानते हैं ,क्या?"। उन्हें भी इस बच्चे का पता नहीं था । आगे जाते वक्त एक बाइक वाले ने हमारी मदद की आगे जाने में, ये बाइक वाले ने भी उस बच्चे को आगे जाते हुए देखा था। आगे जाते वत्त भी मैं कभी दुकान तो कभी लोगों के घर तो फास्ट फूड पर जा पूँछता। सिर्फ ये उम्मीद के साथ उन्हें इस बारे में पता हो।

आगे एक स्कूल आया। सब छोटे बच्चों की छुट्टी हो रही थी, उनके माँ या पिता उन्हे लेने आए थे। मैं आगे गया,वहाँ से। मैंने देखा एक औरत अपने बच्चे को लेने उसी स्कूल की तरफ आ रही थी। मैंने उससे पूछना सही समझा। तो मैंने उनसे पूछाँ," आप इस बच्चे को जानते है ? "। उन्होंने कहा, " हाँ ! लेकिन ये यहाँ कैसे"। मैंने कहा," तो आप इसे इसके घर पहुँचा देगी "। उन्होंने कहा,"हाँ!"।

मुझे हल्का सा शक हुआ,ये शक लाजमी था कि कोई बच्चा गलत हाथ में न जाए,अभी वो मेरे पास है,तो बचा है। मैं ऐसे ही इसका विश्वास नहीं कर सकता। मैंने उससे और पूछाँ," आप इसका घर जानते हैं?"। उन्होंने कहाँ," हाँ, मैं जानती हूँ"। उनकी ये बाते सुन मुझे उन पर विश्वास हुआ। और मैंने उस बच्चे को उनके साथ उसके माता पिता के पास भेज दिया। मैं खुश था। मैं वहाँ आते वक्त सबको बताया उसका घर मिल गया,उन लोगों को जिनसे मैंने पूछाँ था।

भागवान ऐसे मोके सब को नहीं देता,मैं खुश था कि ये मौका मुझे मिला।
© RK_become your real hero