अपने पराए
कोयल वो परिंदा है जो अपनी मधुर कूक से इंसानों के मन प्रसन्न कर देती है।इतना मीठा बोलने वाली कोयल का रंग काला होता और आंखे एकदम लाल।कोयल की कद काठी कौवे के जैसी ही होती है,और जब तक यह बोले नही तब तक इसे पहचानना मुश्किल होता है।कहते है कोयल अपना घोंसला नही बनाती। जब कोयल को अपने अंडे देने होते है तब वह अंडा देने की मुफीद जगह खोजने निकल पड़ती है। उसकी खोज पूरी होती है कौवे के बनाए...