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आखिरी पैगाम ए बाजार का वो आखिरी मंजर।।
जिसमें यह आखिरी शब्द हमेशा वही कहा जाना है जो कि एक बहुआयामी असंभव गाथा ए आखिरी अल्फाज़ हमेशा ही अंधूरे मिलन की छवि कि असिमता दिखलाता और वो आखिरी शब्द बहुयामी गाथा ए म्यान की मशाल हमेशा हमेशा के लिए असंभव व अनन्त अल्फाज़ ए स्वांग कि इमारत भी कहा गया जो कि कालचकृ द्वारा कर्मपोशित...