होली की याद में
यादें_
आज मुझे कोरोनाकाल में जब कि हम किसी से भी मिलने को तरस रहे, हैं होली के त्यौहार की याद आ रही है।
मार्च का महीना और होली की याद ना आए हो ही नहीं सकता।
वो भी मेरे मायके की होली ।
मेरा मायका नवाबों का शहर लखनऊ है।
मेरे बाबा के द्वारा बनवाया गया बहुत बड़ा सा घर और उसमें मिल- जुल कर रहने वाला बड़ा सा परिवार। तीन चाचा -चाची उनके बच्चे और एक बुआ । मैं ,मम्मी -पापा मेरे दो बड़े भाई हम सब त्यौहार पर इकट्ठे होते थे।
तब मैं छोटी थी।उस समय स्कूलों में छुट्टी मिलने का कोई ताम- झाम नहीं हुआ करता था जैसा कि आजकल है।उस समय तो भाई कुछ भी हो जाएं होली और दीवाली पर सबको इकट्ठा होना है तो होना है।
और सब लोग समय निकालते थे और लखनऊ जाते थे।
क्या होली होती थी मन...
आज मुझे कोरोनाकाल में जब कि हम किसी से भी मिलने को तरस रहे, हैं होली के त्यौहार की याद आ रही है।
मार्च का महीना और होली की याद ना आए हो ही नहीं सकता।
वो भी मेरे मायके की होली ।
मेरा मायका नवाबों का शहर लखनऊ है।
मेरे बाबा के द्वारा बनवाया गया बहुत बड़ा सा घर और उसमें मिल- जुल कर रहने वाला बड़ा सा परिवार। तीन चाचा -चाची उनके बच्चे और एक बुआ । मैं ,मम्मी -पापा मेरे दो बड़े भाई हम सब त्यौहार पर इकट्ठे होते थे।
तब मैं छोटी थी।उस समय स्कूलों में छुट्टी मिलने का कोई ताम- झाम नहीं हुआ करता था जैसा कि आजकल है।उस समय तो भाई कुछ भी हो जाएं होली और दीवाली पर सबको इकट्ठा होना है तो होना है।
और सब लोग समय निकालते थे और लखनऊ जाते थे।
क्या होली होती थी मन...