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नामुमकिन कुछ भी नहीं
रिया की शादी उम्र से पहले ही करा दी गई जिस वजह से वो अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई। ख्वाहिश तो थी उसकी पढ़ लिख कर कलेक्टर बनने की मग़र किस्मत को यह मंजूर नहीं था। और उसके सारे सपने धरे के धरे रह गए। रिया ने अपने माता-पिता से बहुत मिन्नतें की कुछ दिन और रुक जाओ मेरी पढ़ाई तो पुरी होने दो।
इतनी जल्दी भी क्या है शादी की...??
मगर किसी ने उसकी एक ना सुनी और वो एक कठपुतली सी अपने माता-पिता के कहे अनुसार चुपचाप सब करती रही। शादी करके जब वो अपने ससुराल आई तो खुश रहने की लगातार कोशिश करने के बाद भी वो खुश नहीं दिखती। बल्कि हमेशा अनमनी और उदास सी रहती ।उसका चेहरा नयी नवेली दुल्हन की तरह नहीं लगता बल्कि बुझी बुझी हताश निराश और परेशान सा लगता। कयी बार उसके पति मोहन ने उससे बात करने की कोशिश भी की लेकिन रिया ने ऐसा कुछ भी नहीं है।
सब ठीक है और मैं भी बहुत खुश हूं आप चिंता ना करें।
कह कर बात को टाल देती..!!
मोहन सोचता शायद इनका स्वभाव ही ऐसा हो।
एक दिन शाम को रिया अपने स्कूल की सहेली सोहा से बात कर रही थी।सोहा कह रही थी देखो यू घुट घुट कर जीने से अच्छा है तुम अपने पति से बात करो।
मुझे लगता है वो तुम्हें जरुर समझेगा..!!
इस तरह पढ़ाई और अपने सपने को छोड़ देना अच्छी बात नहीं और ना ही इसमें कहीं कोई समझदारी है ..!
रिया कहने लगी जानती हूं अपने सपनों को बिखरता हुआ देख कैसा लगता है। अपने सपनों के बिना जीना
जैसे पल पल मौत के समान है। पर डरती हूं कहीं उन्होंने मना कर दिया तो...?? अगर उनको मेरा आगे पढ़ना पसंद नहीं हुआ तो..? बेकार में ही घर पे तमाशा हो जाएगा..??सोहा ने कहा अरे कुछ नहीं होगा..?
तू एक बार बात करके तो देख...शायद तेरा काम हो जाए
रिया कहने लगी मान लो उन्होंने मेरी पढ़ाई से कोई एतराज़ ना हो... मान लो वो मेरा एडमिशन भी करा दें
पर क्या अब मुझ से पढ़ाई हो पाएगा...??
क्या मैं अपनी पढ़ाई पे ध्यान दें पाऊंगी....?? घर परिवार बच्चे सभी कुछ तो देखना रहता है। अच्छा सुन ना सोहा छोड़ ये पढ़ाई लिखाई सब तू बता तू कैसी है....??
मैं बहुत अच्छी हूं पर बात को बदल मत एक बार सोच कर देख तू अपने बारे में, तू क्या थी और क्या बन कर रह गई हैं..??कहा गया तेरा वो जोश वो उमंग वो उम्मीद
और वो कुछ कर गुजरने की हिम्मत...?
सोहा मेरी सखी ये सब बातें करना आसान है। मगर शादी के इतने सालों बाद फिर से पढ़ाई कर पाना नामुमकिन ...... ??
सोहा नामुमकिन कुछ भी नहीं है..?तू ये क्यों नहीं कहती है कि तू अब कुछ करना नहीं चाहती है। जिंदगी जीना नहीं चाहती है। बल्कि ऐसे ही जिंदगी गुज़ारना चाहती है।
तभी मोहन ने पीछे से कहा आप बिल्कुल भी चिंता मत कीजिए साली साहिबा आपकी सहेली फीर से पढ़ाई शुरू करेंगी। नमस्ते जीजा जी बड़ी मेहरबानी आपकी..
कह कर सोहा ने फोन रख दिया...! रिया ने बात टालने की कोशिश करते हुए कहा आप..!आप कब आए..??
मोहन जब आप अपनी आपबीती अपनी सहेली के साथ सांझा कर रही थी।इसका मतलब आप ने हमारी सारी बातें सुन ली....शायद ..!! और मैं आप से नाराज़ भी बहुत हूं.. इतने सालों में आपको एक बार भी कभी ऐसा नहीं लगा अपनी इच्छा अपने सपने आपको मेरे साथ साझा करना चाहिए था..?? अगर आज मैंने आप दोनों सहेलियों की बातें नहीं सुनी होती तो शायद मुझे इस बारे में कभी पता भी नहीं चलता। मैंने कितनी बार आप से जानना चाहा,आपकी उदासी का कारण पुछा आपने हर बार मेरी बात को एक अलग ही दिशा में मोड़ दिया।
इसमें आपकी कोई गलती नहीं शायद मेरे प्यार में ही कहीं कमी होगी इसलिए तो इतने सालों में भी मैं आपका भरोसा नहीं जीत पाया.......!!
रिया को अब समझ आ गया था कि उसने अपने पति अपनी पढ़ाई की बात ना करके कितनी बड़ी भूल की थी।
उसने मोहन से माफी मांगते हुए कहा मुझे माफ़ कर दीजिए। कहीं ना कहीं मैं ही अंदर से टूट चुकी थी।
जब मां पापा ने मेरी बात ना मानी तो मैं और किसी से कैसे उम्मीद कर सकती थी। इसलिए अपने सपनों का गला अपने ही हाथों मैंने घोंट दिया था। मोहन कहने लगा माफ़ी आपको एक ही शर्त पे मिल सकती है। रिया खुश होते हुए बोली क्या..?? आपको अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करना पड़ेगा..??बोलो मंज़ूर..? रिया ने कुछ सोचते हुए कहा मंजूर.. !! कह कर दोनों हंसने लगे।
अगले दिन ही सुबह सुबह मोहन और रिया एडमिशन लेने कॉलेज के लिए निकल पड़े। बहुत कठिन मेहनत अथाह परिश्रम और अपने लगन से उसने नामुमकिन को भी मुमकिन कर दिखाया। आखिर वो दिन भी आ गया जब रिया कलेक्टर के पद पर प्रतिष्ठित हो सुकून की सांसें ले पाई । आज उसकी खुशी उसके चेहरे पे साफ़ दिख रही थी । और आज मोहन भी रिया की खुशी देख खुश और संतुष्ट नज़र आ रहा था।
किरण