पुरवा..
पुरवा..
जब बहती है.. अपने बहाव के साथ बहुत कुछ लेकर आती है.. बहुत सारे भाव.. बहुत सारे एहसास.. बहुत सारी भावनायें.. बहुत सारी यादें.. बहुत सारी बातें.. बहुत सारी सम्भावनायें तो बहुत सारी आशंकायें भी..
मेरे अनुसार पुरवा हवा और मानवीय भावनाओं में बहुत सी अनुपमेय समानतायें हैं.. जैसे पुरवा अपने साथ नमी लेकर चलती है वैसे ही मानवीय भावनायें भी अपने साथ बहुत कुछ लेकर चलतीं हैं.. हर्ष उल्लास दुख पीड़ा वेदना क्षोभ ग्लानि घृणा क्रोध प्रेम समर्पण सम्मान आदि नामों से अनेकानेक मानवीय भावनायें होतीं हैं.. सभी के अपने अपने प्रभाव और अपना अपना स्वभाव होता है.. मानवीय मन और हृदय में बसने वाली संवेदनाएँ भी ऐसी ही होतीं हैं.. कब कौन सी भावना का किस पे और कैसा असर होगा ये...
जब बहती है.. अपने बहाव के साथ बहुत कुछ लेकर आती है.. बहुत सारे भाव.. बहुत सारे एहसास.. बहुत सारी भावनायें.. बहुत सारी यादें.. बहुत सारी बातें.. बहुत सारी सम्भावनायें तो बहुत सारी आशंकायें भी..
मेरे अनुसार पुरवा हवा और मानवीय भावनाओं में बहुत सी अनुपमेय समानतायें हैं.. जैसे पुरवा अपने साथ नमी लेकर चलती है वैसे ही मानवीय भावनायें भी अपने साथ बहुत कुछ लेकर चलतीं हैं.. हर्ष उल्लास दुख पीड़ा वेदना क्षोभ ग्लानि घृणा क्रोध प्रेम समर्पण सम्मान आदि नामों से अनेकानेक मानवीय भावनायें होतीं हैं.. सभी के अपने अपने प्रभाव और अपना अपना स्वभाव होता है.. मानवीय मन और हृदय में बसने वाली संवेदनाएँ भी ऐसी ही होतीं हैं.. कब कौन सी भावना का किस पे और कैसा असर होगा ये...