...

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मृत्यु को करीब से देखा
हकीकत था या सपना पता नहीं

एक ऐसी घटना जिसकी व्याख्या करना शायद आसान नहीं,

एक महात्मा समान व्यक्ति जिनके चेहरे पर एक नूर था
आए मेरे पास और थामकर मेरा हाथ,
उठाकर ले गए अपने साथ,
उस जगह कोई नहीं था मेरे अलावा
सिर्फ एक सुकून ही था साथ,
ना किसी बात कि खुशी ओर ना किसी बात का गम,
उस पुण्य आत्मा के साथ खुश थे हम,
फिर उन्होंने हमें बताया,
एक समय के बाद जीवन में सिर्फ सुकून ही होता है,
यहां कोई किसी के लिए नहीं रोता है ।
यहां सिर्फ खुशियां ही खुशियां है क्योंकि,
यहां पर आगमन सिर्फ मृत्यु के बाद होता है।