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" ईश्वर के भेजे हुए देवदुत "
मेरे छोटे सेंटा की तरफ से मेरे लिए उपहार।बचपन में घर के बड़े हमारे सोने के बाद उपहार हमारे बिस्तर पर रख दिया करते थे।सुबह आंखे खुलते ही बड़े प्रसन्न होते थे की सांता ने गिफ्ट दिए।आज बड़े हुए तो ज्ञात हुआ हमारे माता-पिता ही ईश्वर के भेजे हुए सांता हैं।और पुरे घर के असली सांता तो पापा हैं जो सबकी ख्वाहिश पूरी करते हैं, बस खुद को छोर के...!ये वो सांता हैं जो अपने दोनों हाथो से सब न्योछावर कर देते हैं।कहते हैं जो अपने दोनो हाथो से लुटाता है वो खुद के लिए कुछ नहीं रखता बचपन से बिदाई तक सब ही तो लूटा देते हैं।ये ईश्वर के भेजे हुए वो "देवदुत्" हैं जिनके बिना हम इतनी बड़ी दुनिया में खो जाएंगे भले घर में परिवार के सदस्यों से भरा क्यू ना हो आपके पास कितनी भी बेसुमार दौलत क्यू ना हो सामाजिक,बाहरी शिक्षा तो पिता से ही मिलती है।
होस ठहरने के बाद अपने से छोटे भाई बहनो को ये कहते आधी रात को चाय और बिस्किट रख देना और तुरंत जाकर सो जाना (तुरंत इसलिए ताकि हम गर्म चाय पी सके ठंडा होने से पहले)और फिर सुबह सिरहाने रखा उपहार देख बहुत खुश होते।

Note:-* बडो की प्रवृत्ति खुद-ब-खुद बच्चों मे बड़े होने के साथ-साथ आ जाती है।
* बचपन की बेवकूफ बन्ना बड़े होकर सोचने से सुखद आनंद की अनुभूति होती है।

@मेरा_सम्राट_हुकुमसा🎄🎁
#अमर्त्य💞
© SunitaShaw