अंजान ख़त
#चिट्ठी
लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी।
थोड़े ही देर में सुप्रिया लाईब्रेरी पहुंचती है। वहाँ निकिता को देख वो उसके पास वाली कुर्सी पे बैठ जाती हैं और चिट्ठी दिखाती है। निकिता घबराते हुए पूछती है किसकी चिट्ठी है ये। सुप्रिया अतीत में चली जाती है।
कुछ साल पहले की बात है। सुप्रिया और निकिता कॉलेज से घर आ रही थी, रास्ते में उसे डाकिया मिलता है और पूछता है आप सुप्रिया है। आपके नाम एक चिट्ठी है। सुप्रिया सोचती है मुझे चिट्ठी किसने दी होगी। वो चिट्ठी खोलती है उसमे लिखा होता है, तुम्हारी याद हमेशा आती...
लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी।
थोड़े ही देर में सुप्रिया लाईब्रेरी पहुंचती है। वहाँ निकिता को देख वो उसके पास वाली कुर्सी पे बैठ जाती हैं और चिट्ठी दिखाती है। निकिता घबराते हुए पूछती है किसकी चिट्ठी है ये। सुप्रिया अतीत में चली जाती है।
कुछ साल पहले की बात है। सुप्रिया और निकिता कॉलेज से घर आ रही थी, रास्ते में उसे डाकिया मिलता है और पूछता है आप सुप्रिया है। आपके नाम एक चिट्ठी है। सुप्रिया सोचती है मुझे चिट्ठी किसने दी होगी। वो चिट्ठी खोलती है उसमे लिखा होता है, तुम्हारी याद हमेशा आती...