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एहसास
लगातार 1 घंटे से बारिश हो रही थी लेकिन रात के सुनसान से
बस स्टॉप पर एक लड़की खुले आसमान के नीचे बैठी थी एक बस आकर उस बस स्टॉप पर रूकती है और कुछ लोग उससे बाहर आते हैं उनमें से एक व्यक्ति उस लड़की के सामने आकर रुक जाता है । लड़की ने अपने नजरे ऊपर उठाई पर उसे सब धुंधला दिख रहा था अगले ही पल वह बेहोश हो गई।
जब उसे होश आया सुबह हो चुकी थी , उसने खुद को अपने ही कमरे में पाया कुछ देर की खामोशी के बाद वह अपने कमरे से बाहर निकली उसका घर पूरा खाली था कोई भी नहीं था और किसी को होना भी नहीं चाहिए था पर शख्स कौन था जो उसे कल रात घर वापस लाया। जबसे उसे जिंदगी की कड़वाहट का सामना करना पड़ा ,अपने ही लोगों से मिले जख्मों से वो बिखर गई खैर उसकी जिंदगी में अब अकेलेपन के सिवा कुछ नही था ,यह अकेलापन उसे अंदर से खाए जा रहा था । उसे बचपन से किसी के साथ होने का अहसास और किसी की कमी खल रही थी ।

आज शाम वह अपने घर से बाहर निकली पर मार्केट की भीड़ भरे रास्ते को छोड़कर दूसरी ओर जंगल की ओर चल पड़ी लंबे-लंबे पेड़ों से भरे रास्ते में पहाड़ों में बादलों से छिपता हुआ सूरज और पक्षियों की आवाजों से भरा वातावरण उसमें जान भर रहा था । डूबते हुए सूरज का पीछा करते-करते वह रास्ते पर आगे बढ़ती रही और सूरज डूब गया उसने अपने आप को जंगल के किनारे से बहुत दूर पाया पर पास ही बहती नदी की आवाज सुन वह वहां जाकर थम गई ।आसमान में डूबे सूरज की लालिमा अभी बिछी हुई थी कुछ देर बाद वह वापस लौटने लगी तभी उसे नदी के किनारे पर कुछ दूरी पर एक व्यक्ति उसकी ओर आता हुआ दिखाई दिया पर वहां से हडबड़ी में जाने की कोशिश में उसका पैर मुड़ गया और वह ठीक से चल भी नहीं पाई।

वह व्यक्ति उसे देखते हुए उसके नजदीक आ गया पर शाम के अंधेरे में उसे कुछ साफ दिखाई नहीं दिया पर उसे इतना पता चला कि यह वही व्यक्ति है जो उसे कल रात बस स्टॉप पर मिला था और फिर वह अपने घर पर थी उस लड़के ने बिना कुछ कहे उसे उठाया और रास्ते की ओर बढ़ने लगा । लड़की ने पूछा तुम कौन हो इस पर वह लड़का बोला "आर्यन" उसकी आवाज सुनकर वह उसे देखती रही और उसे पहचानने की कोशिश करती रही और बोली " मेरा नाम स्मृति है "पर वह बोला "शाम हो गई है आज तुम मेरे घर में आराम कर सकती हो जब तुम्हारे पैर के दर्द में कुछ राहत हो तुम चली जाना" स्मृति को इतना तो पता था कि वह इस इंसान पर भरोसा कर सकती है पर वह उसे पहचानना चाहती थी उसकी आवाज उसे किसी की याद दिला रही थी वह उसके चेहरे की ओर देखते हुए बोली " ठीक है ।"
कुछ देर चलने के बाद उसे जंगल में बने घर में से लाइट आई हुई दिखाई दी जैसे जैसे वह लाइट की ओर बढ़ रहे थे वह अपनी आंखों पर और जोर डालती रही उसके चेहरे को देखने के लिए नजरे जमाए हुए थी। जैसे ही वो घर के दरवाजे तक पहुंचे वह अचानक से बोल पड़ी "तुम सिंगर आर्यन मल्होत्रा हो??? तुम बिल्कुल उसी के जैसे दिखते हो तुम्हारी आवाज भी एक जैसी है ।"
आर्यन बिना कुछ बोले उसे घर के अंदर ले गया उसे सोफे पर बैठा दिया और अगले ही पल में फर्स्ट एड किट ले आया उसने स्मृति के लेग स्प्रेन पर ऑइंटमेंट लगाकर कंप्रेस्ड बैंडेज लगाते हुए बोला " अपना ख्याल रखा करो चाहे जैसी भी परिस्थितियों हो कोई ना कोई जरूर होगा जो तुम्हें शिद्दत से अपनी दुआओं में मांगता होगा ,जिसकी दुआ तुम्हारे बिना अधूरी होगी ।" यह सुनकर स्मृति अपने नज़रे नीचे करते हुए बोली अब ऐसा कोई भी नहीं है इस दुनिया में । मेरे मम्मी पापा की डेथ हो चुकी है।"
कुछ समय के लिए ही सही पर वह इस अजनबी पर भरोसा करना चाहती थी उससे वह सारी बातें कहना चाहती थी जो उसने अभी तक अपने समेट कर रखी थी ।
कुछ देर की खामोशी के बाद आर्यन ने उससे पूछा डिनर में क्या खाओगी पर वह गंभीरता से बोली मुझे भूख नहीं है आर्यन उसे वहीं छोड़कर किचन की ओर चला गया और वह उसे देखती रही आर्यन ने उसकी ओर मुड़कर देखा दोनों के बीच एक अजीब सी उलझन थी जिसे शायद उन दोनों में से कोई भी एक दूसरे की उलझन समझ नहीं पा रहे थे
खाना तैयार होने के बाद आर्यन डाइनिंग टेबल पर उसे लेकर आया और उसे खाना खिलाने लगा उसे देखकर स्मृति की आंखों में आंसू आने लगे और उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें आर्यन उसके आंसू पूछते हुए उसे वापस खाना खिलाने लगा कुछ देर बाद वह रुक गई और बोली" तुम मेरी इतनी केयर क्यों कर रहे हो ???? ............ तुम अपना खाना खत्म करो मैं खुद से खा लूंगी " आर्यन ने स्पून उसके हाथ में दे दिया पर कुछ न बोला। जब उन दोनों ने खाना खत्म कर लिया तब आया नहीं स्मृति को उठाकर कमरे में ले गया और बेड पर लिटा दिया बाहर आकर आयरन सोफे पर लेट गया पर उसकी आंखें उसे कमरे को निहारती रही और उसकी आंखों से आंसू की बुंदे निकल कर अपनी अनकही दास्तां बयां करने लगी।

स्मृति ने जब अपनी आंखें खोली तब सुबह हो चुकी थी उसने आर्यन को घर के बाहर गार्डन में मेडिटेशन करते पाया वह उसके पास गई और उसके चेहरे के भाव को पढ़ने लगी पर अपने आसपास किसी को महसूस कर आर्यन ने आंखें खोल ली एक बार फिर उनके चेहरे एक दूसरे के सामने एक दूसरे की आंखों में कुछ ढूंढते हुए पर जवाब दोनों में से किसी को ना मिल रहा था इस पर आर्यन बोला मैंने एक बार तुम्हारे बारे में एक सपना देखा था और तुम्हें महसूस किया था। ई रिमेंबर योर किस तुमसे मिलने से पहले मैं तुम्हें महसूस कर सकता हूं और तुम्हें महसूस करते-करते मैं यहां तुम तक पहुंच गया यह सुनकर स्मृति ने अपनी नाम होती आंखों के साथ उसे कसकर गले लगा लिया आर्य ने भी अपनी भीगी आंखों के साथ मुस्कुरा कर उसे गले लगा लिया ।
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