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वोट।
#वोट
चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी।
यहां पर सब अपने-अपने विचार प्रकट कर रहे हैं
साथ में चाय की चुस्कियां भी ले रहे हैं
हर बात पर अपना अपना मत दे रहे हैं
और साथ में वाद विवाद भी कर रहे हैं
कोई अपने घर की कहानी लिए बैठा है तो कोई देश की कहानी लिए
तो दूसरी तरफ कोई राजनीतिक भविष्य की कहानी लिए बैठा है
तो इस बार कौन करेगा इस देश का कल्याण
एक दूसरे से आपस में ही चर्चा कर रहे हैं
तो चाय वाला बोलता है सब अपने-अपने वोट के लिए आते हैं
और जब पलट के किसी के लिए कुछ कार्य करना होता है
तो बोलते हैं तुम कौन हो भाई
वोट से पहले बोलते हैं हमारे माता-पिता तुम ही हो भाई
इस बार का भी वही हाल है
हर बार की तरह इस बार भी वही नाकाब है
देखने का नजरिया कुछ और है
पर समझने की बात वही है।