...

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एक ख़त
#ख़त

कैसे हो

सच कहूँ इस दर्द के पीछे ऊमीद भी तुम्हीं से है
बस उसी ऊमीद सदक़ा फिर से क़लम थाम ली
कुछ दर्द कुछ अश्क़ रोज़ बहते है बहने देता हूँ
इस ऊमीद से की तेरे हाथ इन तक पहुँच जाए
रातें...