कशमकश जिंदगी की (पार्ट-4)
जब निहाल चला गया तो ज्योतिकाजी ने कृतिका से पूछा-"बेटा तुम्हें ये निहाल कैसा लगा।मुझे तो बहुत पसन्द आया।मुझे तो ये तेरे लिए बहुत जँच रहा है।"
"पर माँ, तुम ये चिंता छोड़ दो।मैं अभी कहीं नहीं जाने वाली अपनी मम्मा को छोड़कर"।कृतिका ने कहा।
बेटियाँ तो सदा से पराई होती है एक दिन उन्हें विदा तो करना होता है और सीधा सादा ,व्यवहार कुशल निहाल मुझे बेहद पसंद आया ।मुझे लगता है वो तुमसे भी इम्प्रेस होगा इसलिए ही घर तक छोड़ने आया और मेरे एक बार ही कहने के बावजूद वो कॉफ़ी पीने आ गया।मैंने भी बहुत दुनिया देखी है।
"माँ, प्लीज ये फालतू की बातें न करो।मुझे अभी शादी नहीं करनी....पढ़लिख कर पहले कुछ बनना है। उसके बाद ही शादी करनी है"कृतिका ने कहा।
"ठीक है,तेरी जैसी मर्जी,आजकल के बच्चे किसी की सुनते कहाँ हैं......ज्योतिकाजी ने खीझते...
"पर माँ, तुम ये चिंता छोड़ दो।मैं अभी कहीं नहीं जाने वाली अपनी मम्मा को छोड़कर"।कृतिका ने कहा।
बेटियाँ तो सदा से पराई होती है एक दिन उन्हें विदा तो करना होता है और सीधा सादा ,व्यवहार कुशल निहाल मुझे बेहद पसंद आया ।मुझे लगता है वो तुमसे भी इम्प्रेस होगा इसलिए ही घर तक छोड़ने आया और मेरे एक बार ही कहने के बावजूद वो कॉफ़ी पीने आ गया।मैंने भी बहुत दुनिया देखी है।
"माँ, प्लीज ये फालतू की बातें न करो।मुझे अभी शादी नहीं करनी....पढ़लिख कर पहले कुछ बनना है। उसके बाद ही शादी करनी है"कृतिका ने कहा।
"ठीक है,तेरी जैसी मर्जी,आजकल के बच्चे किसी की सुनते कहाँ हैं......ज्योतिकाजी ने खीझते...