...

21 views

अधूरा मै अधूरी मेरी चाहत
साँसे भी अब अपनी नही रही।।
वो आई जिंदगी मे जिंदगी बनके
और जीने की हर खोआऐश् अपने साथ ले गई।।
मै खुद मे रेहता था कभी।
मतलबी सा था खुद मे खुद को ढुंढता था कभी।।
किसी को अपने राज न बताए थे।।
सोचा था अपनी तकलीफो कमजोरियों को हर सक्स् से छुपाएगे।।
बस सेहेर् बदला था खुद को बदलने का इरादा नही था।।
मोहब्बत से भी अंजान था मै।।
कोई छिन लेगा मेरी रूह को मुझसे
अंदाजा नही था ।।
उसकी आँखो मे एक अलग ही चमक थी।।
बहोत लर्कियो से होती थी मुलाकात मेरी।।
मगर उसकी हर अदा अलग थी।।
पेहली नजर मे देखा खो गया दिल उस हसीन चेहरे पे।।
ये बात और है वो मुलाकात अंजान थी।।
मै उसमे खोया रहा उसके हसीन चेहरे की चमक हाए क्या लाजबाब थी।।
की कोसिस की करू बात उस्से।।
एक दिन उसको करीब बुलाया।।
मेरे हर सवाल का जबाब उसकी नजरो मे था।।
लफ़्सो से तो झूठ बोलती थी वो।।
आँखो मे उसके मेरा ही साया था ।।
सोचा न था मै खुद को भूल जाऊंगा इन इश्क़ की गलियों मे।।
कभी ये जज्बात ये एहसासे मेरे लिए इनसे जूरी हर बाते गुमनाम सी थी।।
मै पागल था उसके लिए वो अंजान सी थी।।
.
.
.
. ।।लम्हा लम्हा बताऊंगा
थोरा थोरा करके मै अपनी कहानी
हर दिन सुनाऊंगा।।

© singh_subhammmm