...

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बचपन का वादा
CHAPTER 12

निशा बोलती है कुछ नही मैं अपनी बहन की बारे मैं सोच रही थी पता नही इसका क्या होगा | आरव बोलता है तुम्हारी बहन लेकिन तुम तो

दो लोगो कि बात कर रही थी l निशा बोलती है अरे मेरी बहन और शेखर का l आरव बोलता है अब क्या किया उन दोनों ने l निशा बोलती है

तुम्हे पता है उन दोनों दोस्त बन गए थे लेकिन आज उन लोगों ने झगड़ा कर लिया l कभी दोस्त बनते है कभी एक दूसरे से लड़ जाते है l आरव

बोलता है अब किस बात किस बात का लड़ाई हुआ उन दोनों में l निशा बोलती है कोई बात नही थी कई और शेखर कैंटीन में बात कर रहे थे l

तभी मानवी आचनक आकार शेखर के ऊपर गुस्सा होने लगी l फिर शेखर मानवी के ऊपर गुस्सा करने लगा और दोनो ऐसे ही झगड़ने लगे l

आरव बोलता है अब कहा है उनलोग l निशा बोलती है शेखर तो नाराज होकर चला गया और मानवी उसके पीछे पीछे गई है माफी मांगने l

आरव बोलता है भगवान करे अनलॉक जल्दी ही शूला करले l निशा बोलती है ऐसा ही हो l आरव बोलता है मुझे लगता है मानवी को जलन

हो रहा था l निशा बोलती है कैसे तो आरव बोलता है तुम्हे नही लगता की तुम्हे और शेखर को बात करते हुए देखा तो उसने गुस्सा किया l वैसे

भी तुम अब शेखर की दोस्त भी हो l अगर शेखर तुमसे बात भी करेगा तो कोई दिकत नही है l निशा बोलती है अगर ऐसा है मैं तो कितना

अच्छा है एक टॉमन जेरी कपल है ना l फिर निशा बोलती है वैसे मैं शेखर से बात करना तुम्हे कोई प्रोब्लम नही होगी | आरव नजर चुराते हुए

बोलता नही होगी मुझे क्या कोई दीकत होगा | निशा चिड़ाते हुए बोलती है अच्छा कोई प्रोब्लम नही होगी तो तुम नजरे क्यू चुरा रहे हो | मुझे

पता है तुम जब झूठ बोलते हो तुम ऐसे ही नजर चुराते हो | आरव बोलता है मैं कहा नजरे चुरा रहा हु तुम भी ना कुछ भी बोलती हो | निशा

झूठ बोलती हुए बोलती है अच्छा है तुम्हे कोई दिकत नही है होगी वैसे भी आज शेखर ने मुझे डिनर पर बुलाया है कई सोच रही थी अगर मैं

जाऊंगी तो तुम्हे बुरा लगेगा | अब अच्छा है मैं आराम से जा सकती हु तुम्हे तो कोई भी प्रोब्लम नही होगा | आरव बोलता है नही जाना है |

निशा बोलती है क्यू तो आरव बोलता है मैने सुना है कि शेखर अच्छा लड़का नही है उसकी बहुत सारी गर्लफ्रेंड है | तो निशा बोलती है झूठ

मत बोलो मैने खुद देखा है शेखर की कोई गर्लफ्रेंड नही है | आरव को और कोई बात नही सूझता है तो वह बोल ही देता है मुझे अच्छा नही

लगेगा | निशा बोलती है तुमने तो मन ही ना की तुम्हे कोई फर्क पड़ता मैं कही भी जाऊ| आरव निशा के बात काटते हुए बोलता है अब हटो

मुझे कुछ खाने का सामान लेना है | निशा हटाते हुए मन में बोलती है ये जलते हुए कितना प्यारा लगता है | आरव और निशा कैंटीन से समान

लेकर वहा से चले जाते है| उधर मानवी शेखर के पीछे आते उसे रोकती है बोलती रुको भी कब से तुम मुझे अपने पीछे भगा रहे हो | उधर

शेखर मुस्कुराते हुए मन मैं बोलता है बहुत ही भगाया तुमने मुझे अब तुम मेरे पीछे भागो मानवी शर्मा और वैसे भी तुमने मुझे बहुत ही

सुनाया है तुम्हे पता है मुझे कितना बुरा लगा है फिर मन मैं सोचता है पता नही जब मानवी मुझे सुना रही थी मेरा दिल को पता नही बुरा क्यू

लग रहा था और फिर अपने आप को समझते हुए बोलता है क्यू ना लगेगा बुरा किसी को भी लगेगा | तभी मानवी शेखर का हाथ घिचते हुए

उसे दीवाल के सहारे उसके दोनो कंधे को पकड़ के बोलती है अब तुम बिलकुल भी नही हिलोगे कब से देख रही हु तुम मुझे भगा ही रहे हो |

ये सब अचानक हुआ था जिससे शेखर एकदम सोक्ट हो गया था | और वह मानवी को देखने लगता है | तब मानवी बोलती है मैं मानती हु की

तुम्हे मैने बहुत ही सुनाया है और मैं तुम से माफी भी मांग रही हु | लेकिन तुम तो मुझे इग्नोर ही करते हुए चले जा रहे हो | शेखर बस मानवी

को ऐसे बोलते हुए बस देखे ही जा रहा था | तभी मानवी बोलती है तुम सुन भी रहे हो मैं क्या बोल रही हु तब शेखर मानवी को आंख से

इसारा करता है तब मानवी देखती है की वह शेखर को पकड़ी हुई है वह अचानक से हाथ हटाते हुए बोलती है सॉरी मुझे माफ करना ऐसे

तुम्हे दीवाल के तरफ पुस किया चोट तो नही लगी तुम्हे | शेखर बोलता हैं नही फिर दोनो एक दूसरे को देखने लगते है | फिर शेखर बोलता है

क्या कह रही थी तुम | मानवी बोलती है वह मैं तुमसे माफी मांग रही थी | मुझे माफ कर दो मैने तुम्हे गलत समझा शेखर बोलता है गलत

समझा | गलत समझा ही नहीं तुम्हे मुझे क्या क्या नहीं कहा | मानवी ईबेरस होते हुए बोलती है मुझे पता है तुमने भी तो मुझे सुनाया है |

शेखर मन में सोचता है ईबेरस होते हुए कितना क्यूट लगती है यार मुझे तो हसी आ जाएगी इसे ऐसे देखकर कैसे बताऊं मैंने उसको कब का

माफ कर दिया | लेकिन इस ऐसे देखर मुझे बहुत ही मजा आ रहा है थोड़ा देर इसको गिल्टी फील करता हु..........................

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