...

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सब झूठ ही तो है,
सब कुछ झूठा सा फ़साना
सब कुछ भ्रम ही तो है।

सब कुछ झूठा सा अफ़साना
सब कुछ हर कहीं दर्द ही तो है।

कभीं ख़ुशी कभी ग़म
सब कुछ एक भ्रम ही तो है।

अच्छे कर्म तो हैं । हिस्से में
मग़र हर पल दर्द ही तो है।

कभी ग़मों में ख़ुशी कभी
खुशियो मे ग़म, सब भ्रम ही तो है।

ना जाने कैसी हैं ये जिन्दगी की पहेली
जो अपना हैं, वो अपना नहीं हैं।

जो अपना है वो भी अपना नहीं हैं।
वो भी कंभक्त किसी और का है।

सब कुछ झूठा फ़साना सा है
सब कुछ भ्रम ही तो है।

जिसको दिल चाहता है
जिसको दिल पूजता हैं।

उसके हर पल साथ मे
पास मे रहने का अह्सास तो होता है।

पर वो पास नहीं होता है, पर वो कहीं नहीं है
बस उसकी आश मे दिल रोकर चुप हो जाता है।

नगर वो होकर कहीं भी तो नहीं है।

सब कुछ दर्द सब कुछ एक भ्रम ही तो है।
मिलना फ़िर बिछड़ना सब तय है उस रब की मर्जी ।

जो आज साँसों में है, बाहों में है।
वो कल नही होगा, वो कल कहीं ओर होगा
ये सब, सब कुछ भ्रम ही तो है।

झूठा फ़साना, एक अफ़साना
दर्द में खुशी एक भ्रम ही तो है।

किसी को प्यार मिलना
किसी को ना मिलना, सब कुछ
झूठा अफ़साना, झूठा भ्रम ही तो हैं।

किसी के माँ बाप हैं, किसी के नहीं हैं
किसी के पास सब कुछ है।

किसी के पास कुछ नहीं, तो कोई अनाथ हैं।
पहले आँखों में आँसू, फ़िर ख़ुशी।

सब कुछ एक जीवन का खेल ही तो हैं
सब कुछ समझो तो एक भ्रम ही तो है।

ज़िंदगी एक उलझी एक पहेली ही तो हैं
सब झूठ ही तो है, मैने जो कहा तुमने जो सुना।



© KRISHAN MEENA