...

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Wo zakham marham mohbbat baate tumhari
वो यादे तुम्हारी,
वो बाते तुम्हारी,
वो साथ तुम्हारा,
ये बे मतलब सा प्यार तुम्हारा,
ये सब नाम का रिश्ता मेरा तुम्हारा
कुछ नहीं चाहिए अब मुझे,
ना तुम ना तुम्हारी जरूरत,
ना तुम से जुड़ी कोई हसरत,
नहीं लगाना अब दिल तुम से,
तुम रखों अपना दिल पास खुद के,
अब इश्क से मुझ को नफ़रत सी हो गयी हैं,
चाहत को कहीं किसी की नजर
लग गयी हो जैसे,

कितने बदल गए हों ना तुम,
बिल्कुल मौसम की तरह,
मुझ से बातें भी ऐसी करते हो
जैसे मुझे किसी बात की खबर ही ना हो,
जेसे मे अनजान हू तुम्हारी हर बात से,
सब पता, सब ख़बर है मुझे,
उस दिन याद आएगा तुम को प्यार मेरा
जब तुम्हारा भी दिल कोई तोड़ेगा
बिल्कुल तुम्हारी तरह,

शायद तुम खुद मुझ से, मेरे जज्बातों से
अनजान हो कि मुझे कुछ पता नहीं है ,
कितनी बे शर्म बे ह्या हो ना तुम,
मेरे होते हुए भी किसी और से दिल लगा बैठे तुम,
क्या कमी थी मेरे इश्क में जो भला
किसी और को अपना बना बैठे तुम,
© Krishan Meena