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Essay : "गाँधी भी मेरे…सावरकर भी मेरे…"
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"गाँधी भी मेरे…सावरकर भी मेरे…"

आज इस पवित्र अवसर (15 ऑगस्ट) पे में गाँधी को भी उतना हीं पुजूंगा जितना में सावरकर को पूजता हु l

में नेहरू को भी उतना हीं मान-सम्मान दूंगा जितना में सुभाष चंद्र बोस को सम्मान देता हु l

में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को उतना हीं नमन करूंगा जितना में चंद्रशेखर आज़ाद को नमन करता हु l

सरदार पटेल, तिलक, गोखले, राजेंद्र प्रसाद, और सरोजिनी नायडू के भी उसी आदर-भाव से पैर चूऊँगा जितना आदर-मान और सम्मान से में भगत सिंह, बिस्मिल, अस्फाकुला, प्रफुला चकी, राजगुरु, और सुखदेव का नमन करता हु l

और में उन सभी असंख्य, असीमित व अज्ञात स्वतंत्र-सेनानियों का भी आज सम्मान करता हु जिनके नाम में कभी जान नहीं सका l जिनके जीवन के बारे मे, में कभी पढ़ नहीं पाया, जिन्होंने अपने अस्तित्व की परवाह किये बिना इस भारत देश की स्वतंत्रता के लिए अपना अस्तित्व हीं मिटा दिया l

क्यूंकि में उस भारतीय संस्कृति और सभ्यता को अपनी माँ मानता हु जो मुझे मेरे किसी भी पूर्वज को मान-सम्मान देते...