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इश्क या इबादत - 1
कहानियां किस्से जो हम सुनते सुनाते है किसी की जिंदगी की हकीक़त तो होती ही है हम माने या न माने।जब जिसपे गुजरे होंगे क्या खबर उसपे क्या गुजरी होगी।वो आईएएस की कोचीन में थी उसकी क्लास चल रही थी जीके की।शक्ल सूरत में खास तो नही थी पर कुछ तो बात थी एक बेपरवाह पन था उसमे।माध्यम कद गेहुआ रंग। मजाल जो स्कूल से कॉलेज तक किसी ने प्रेम का दम भरा हो उसके सामने या कहा हो की वैष्णवी मुझे तुमसे प्रेम है।ना ना डर वजह नही है उसका मुंहफट होना वजह थी। अब भला कौन प्रेम में अपनी खिल्ली सरे आम उड़वाए।और वैष्णवी किसी से प्रेम करे ऐसा कोई था नहीं ऐसा वो सोचती थी। मगर घमंड रहा है किसी का जो इन मैडम का रहता। जीके की क्लास में बड़ा मन लगा के पढ़ाई चल रही थी की क्लास में वो आया और मैडम के ठीक सामने बैठा गोरा सा मुस्कुराता हुआ चेहरा अब मुस्कुरा क्या रहा था समझ लीजिए की 32 में से 36 दिखा रहा था जैसे की जबड़ों की दुकान में दांतो की नुमाइश लगी हो।
to be continued
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