...

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ज़िन्दगी के नये पन्ने....
वो सब अब समझ आ रहा हैं जो कभी नहीं समझा था।
आजकल ना कोई रिश्ते अपने हैं ना ही अपनो से दिल का रिश्ता हैं। सब कुछ बिखरा हुआ टूटा सा नजर आता हैं। ये सब देखकर दिल उदास हैं। जब तक हम बेहतर हैं तब तक सब साथ होते हैं लेकिन जहाँ हमसे गलतियों हो जाये तब हमारी कमियों से कोई नहीं अपनाता हैं । मेरे मालिक सिर्फ ये तू जानता हैं मेरा दिल क्या कहता हैं या सोचता हैं।
सब कुछ छोड़ कर तेरे भरोसे से जीए जा रहें है। तू जाने हम क्या किये जा रहें हैं। झूठा ये संसार झूठी माया सारी हैं। क्या लिखा हैं तूने जब हर रात रोकर गुजरती हैं। दातार तेरी महिमा सबसे अनोखी हैं.. जो पाकर भी ख़ुशी नहीं वो खोकर क्या डरना सब कुछ लूट कर अब ज़िन्दगी से क्या गिला करना।
सांसे दी हैं तो मेहकाना भी तूने हैं।
दिल दिया हैं तो धड़काना भी तूने हैं।
जितना भी सफर लिखा हैं तूने मेरा
ये सफर खुशनुमा बनाना भी तूने हैं।

© Niharik@ ki kalam se✍️