प्रकृति का अंश नारी
मैं एक नारी हूं लेकिन वास्तविकता समुद्र की तरह है
जिसने जो दिया अपने में समाहित कर लिया
मैंने कभी अपनी सीमाएं नहीं तोड़ी
तोड़ी है तो समुद्र की भांति मर्यादाओं में तोड़ी
अगर किसी ने जो भी दिया
उसे दुगना कर वापस...
जिसने जो दिया अपने में समाहित कर लिया
मैंने कभी अपनी सीमाएं नहीं तोड़ी
तोड़ी है तो समुद्र की भांति मर्यादाओं में तोड़ी
अगर किसी ने जो भी दिया
उसे दुगना कर वापस...