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प्रकृति का अंश नारी
मैं एक नारी हूं लेकिन वास्तविकता समुद्र की तरह है
जिसने जो दिया अपने में समाहित कर लिया
मैंने कभी अपनी सीमाएं नहीं तोड़ी
तोड़ी है तो समुद्र की भांति मर्यादाओं में तोड़ी
अगर किसी ने जो भी दिया
उसे दुगना कर वापस कर दिया
नारी होना गर्व की बात है
सभी रिश्ते नाते जिम्मेदारियों को निभाना
सब कुछ करते हुए कुछ नहीं करती
यह तो केवल एक नारी ही कर सकती है
क्योंकि नारी का नेचर ही प्रकृति है
प्रकृति कभी खुद का पान नहीं करती
दूसरों को ताउम्र देते रहना नारी शब्द का अर्थ है
इस शब्द के एहसान तले क्या भगवान क्या इंसान क्या जीव क्या चल क्या
अचल सभी इसी के कारण पृथ्वी पर अपने अस्तित्व में अभी तक विद्यमान हैं
इसलिए नारी का स्थान सर्वोपरि है
सारा संसार एक वृक्ष है जिसकी जड़ एक नारी है
जड़ है तो वृक्ष है
वृक्ष है तो टहनी है
टहनी है तो पत्ते है
पत्ते हैं तो फूल हैं
फूल है तो फल का आना लाजमी है
इसलिए लोग मुझे प्रकृति या मां की
उपाधि से संबोधित करते हैं।।




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