एक गहरी बात
एक गहरी बात
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बेजुबान पत्थर पे लदे है करोड़ो के गहने मंदिरो में ,
उसी दहलीज पर एक रूपए को तरसते नन्हें हाथों को देखा है।
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सजे थे छप्पन भोग और मेवे मूर्ति के आगे ,
बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के मरते देखा है l
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लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार ,
पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है |
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वो दे...
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बेजुबान पत्थर पे लदे है करोड़ो के गहने मंदिरो में ,
उसी दहलीज पर एक रूपए को तरसते नन्हें हाथों को देखा है।
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सजे थे छप्पन भोग और मेवे मूर्ति के आगे ,
बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के मरते देखा है l
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लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार ,
पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है |
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वो दे...