एक कहानी ऐसी भी - भाग चार
नमस्कार दोस्तों
स्वागत है आप सभी का इस कहानी के चौथे एवं अंतिम अध्याय में, जहां हम अवगत करवाएंगे आपको मिताली और मयंक की विधि से। तो चलिए आरंभ करते हैं कहानी।
पिछले अध्याय में हमने देखा कि मिताली को मयंक की असलियत का पता लगते ही वो पूरी तरह टूट चुकी थी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अब वो आगे क्या क़दम उठाए जिससे मयंक और उसका टूटता हुआ रिश्ता फिर से जुड़ जाए। वहीं उसके मन में मयंक के प्रति आक्रोश भरा हुआ था। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मयंक ऐसा कर सकता है। पर विधि के आगे सब बेबस और लाचार। उसने सुनंदा से इस मामले में उसकी राय जानी और फूट फूटकर रोने लगी। पर सुनंदा ने उसे बच्चों का वास्ता देकर समझाया कि ऐसे रोने से कुछ हासिल नहीं होने वाला। आखिरकार मिताली ने मन बनाया कि वो कल सवेरा होते ही वर्षा के घर जा कर उसे सब कुछ सच सच बता देगी। फिर चाहे जो हो जाए।
और हुआ बिल्कुल ऐसा ही, सवेरे मिताली और सुनंदा मौक़ा पा कर वर्षा के घर जाते हैं,...
स्वागत है आप सभी का इस कहानी के चौथे एवं अंतिम अध्याय में, जहां हम अवगत करवाएंगे आपको मिताली और मयंक की विधि से। तो चलिए आरंभ करते हैं कहानी।
पिछले अध्याय में हमने देखा कि मिताली को मयंक की असलियत का पता लगते ही वो पूरी तरह टूट चुकी थी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अब वो आगे क्या क़दम उठाए जिससे मयंक और उसका टूटता हुआ रिश्ता फिर से जुड़ जाए। वहीं उसके मन में मयंक के प्रति आक्रोश भरा हुआ था। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मयंक ऐसा कर सकता है। पर विधि के आगे सब बेबस और लाचार। उसने सुनंदा से इस मामले में उसकी राय जानी और फूट फूटकर रोने लगी। पर सुनंदा ने उसे बच्चों का वास्ता देकर समझाया कि ऐसे रोने से कुछ हासिल नहीं होने वाला। आखिरकार मिताली ने मन बनाया कि वो कल सवेरा होते ही वर्षा के घर जा कर उसे सब कुछ सच सच बता देगी। फिर चाहे जो हो जाए।
और हुआ बिल्कुल ऐसा ही, सवेरे मिताली और सुनंदा मौक़ा पा कर वर्षा के घर जाते हैं,...