...

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भयानक जंगल!
#जंगल
मैंने कहा था स्पेयर टायर चेक करवा लेना निकलने से पहले, लेकिन तुम को तो बस हर बात मज़ाक लगती है। सुदीप ने गुस्से में झुंझलाते हुए रवि से कहा। उफ्फ नेटवर्क भी नहीं है मोबाइल में और इस घने जंगल में कोई दिख भी नहीं रहा। ऐसा क्यों , दोनों लोग आपस में सोचते हुए ! अब बस इन्तजार करना था। किसी का ,
सुदीप रवि से - यार यहां कोई नहीं आएगा क्या ?
रवि - लग तो मुझे भी कुछ रहा हैं, लेकिन हम कर क्या सकते है, बस इंतजार के
सिवा।
सुदीप- मैंने सुना हैं, लोग कहते
हैं ,इस जंगल में कुछ तो अजीब होता हैं।
जो इस जंगल में रात को रुक गया, वो कभी वापस नहीं आया। शाम का समय हो रहा है यार। गाड़ी को छोड़कर जा भी तो नहीं सकते कहीं भी,
तू ही बता क्या करू!
रवि- तो कर भी तो क्या सकते हैं, दिनों ने अपनी पहली सैलरी से ये गाड़ी ली हैं, इसको तो छोड़कर कहीं नहीं जाउगा।
( ये सब बात करते हुऐ बहुत समय हो जाता हैं, अब रात के १० बज चुके थे। )
सुदीप और रवि आपस मे बात करते हुऐ-
रवि- यार हम दोपहर २:३० बजे से यह फसे हुये हैं,
तूने कुछ अजीब स ध्यान दिया क्या!
सुदीप- नहीं तो ।
रवि- तूने ध्यान नहीं दिया, जब से यहां हम फसे हैं , ना तो कोई जानवर ,ना ही कोई चिड़िया,
( तभी एक भयानक आवाज़ आती हैं।)
बाकी कहानी ..............................................
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© ashwani kumar