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स्कूल टाइम की दोस्ती रह गई अधूरी🥀
जिंदगी के सफर में तुमको हजार दोस्त मिलेंगे पर कभी वो स्कूल के दोस्तो को मत खोना क्युकी स्कूल के दोस्तो की बात ही कुछ और है।
ये कहानी एक परिधि नाम के लड़की की है।

परिधि नाम की एक लड़की थी। स्कूल टाइम में सभी टीचर परिधि को पसंद करते थे।परिधि को पसंद ना सिर्फ टीचर बल्कि उसके सारे दोस्त भी करते थे,पर वो कैहते हैं ना सभी पसंद करे ऐसा जरूरी नही होता क्लास में कुछ दोस्त ऐसे भी थे जिसे परिधि पसंद नही थी।
परिधि के ग्रुप में कुल सात आठ लड़किया और चार लड़के थे। पढ़ाई से लेकर मस्ती तक खाने से लेकर हर छोटी मोटी बातो में ये सब साथ रहा करते थे। परिधि के ग्रुप में सभी टैलेंटेड थे।परिधि के लिए उसके दोस्त बोहोत खास थे और दोस्तो के लिए परिधि....होते भी क्यों ना,जो दोस्त जिंदगी के हर मोड़ में आप का साथ दे वो खास तो होते ही हैं। एक दिन की बात है एक टीचर क्लास में पढ़ा रहे थे, सभी का ध्यान पढ़ाई में था। तभी अचानक परिधि के बाजू वाले बेंच से एक चिट्ठी परिधि के पैर के पास किसीने फेक दी। परिधि का ध्यान नही था तभी उसके दोस्त ने वो चिट्ठी उठाई और लेक्चर खतम होने के बाद उसे दिखाई।
आश्रय की बात तो ये थी कि परिधि की इतनी तारीफ करने वाले लोगो में से भला ऐसा कोन था जिसने परिधि के खिलाफ इतना भला बुरा उस चिट्ठी में लिख कर उसके पास फेका।
उस चिट्ठी में ना ही किसी का नंबर था ना ही किसी का नाम। पहले दिन दूसरे दिन तीसरे दिन... वो एक के बाद एक मिले चिट्ठी को देख परेशान होने लगी,उसे और उसके दोस्तो को समझ नही आरा था आखिर हैं कोन जो इतनी नफरत लिए घुमरहा है। शुरुआत के कुछ दिनों तक उस चिट्ठी में सिर्फ परिधि के बारे में लिखा था, और ऐसे ही एक के बाद एक आए उन चिट्ठीयो में ना सिर्फ परिधि बल्कि उसे जुड़े बोहोत से लोगो के बारे में भला बुरा लिखा था। ये सब देख परिधि से रहा नही गया तभी एक दिन परिधि ने टीचर्स को वो सारी चिट्ठीया दिखाई। कुछ दिन तक सब ने जांच करी की कोन ऐसी हरकत कर रहा है। इस चिट्ठीयो की वजह से परिधि अंदर से बोहोत परेशान हो गई थी हजारों सवाल उसके दिमाक को परेशान कर रहे थे। पर सबसे अच्छी बात तो ये थी कि इस परेशानी में उसकी ढाल बनके उसके सारे दोस्त उसके साथ थे उन्होंने भी काफी कुछ सहन किया।
एक दिन कुछ टीचर्स ने जिन जिन पर शक था उनकी और बाकी सभी की जांच करने के बाद अचानक इस सब का जिमेदार परिधि को ही कह दिया। ये बात सुन कर ना सिर्फ उसके दोस्त बल्कि क्लास के भी दोस्तो को दुख हुआ, जिस लड़की को इतने दिन से चिट्ठीया आ रही थी उसके बारे में भला बुरा लिखा जा रहा था उस सब का जिम्मेदार वो भला खुद कैसे हो सकती हैं?
कोई खुद के लिए ऐसा क्यों करेगा?
ये सारी बाते सुन कर परिधि अंदर से टूट चुकी थी। कुछ टीचर ने उसी को भला बुरा कह कर उसी को गुनेगार साबित कर दिया जाहिर सी बात हैं इतना सब होने बाद कोई भी टूटेगा ही....
परिधि ये सब सहन नही कर पाई और गर्मी के छुट्टियों में उसने अचानक वो स्कूल वो शहर छोड़ने का फैसला लिया और किसी को बताए बिना वो अपने परिवार के साथ दूसरी जगह चले गई। उसके लिए ये सब आसान नही था पर क्या करती हालातो से मजबूर हो कर उसने सब छोड़ने का फैसला सही समझा।
अफसोस की बात तो ये थी कि वो जाने से पहले ना तो किसी को बता पाई ना मिल पाई।
जब स्कूल चालू हुई तब सब को पता चला कि परिधि ने स्कूल छोड़ दिया ये बात सुनकर ना सिर्फ दोस्त बल्कि कुछ टीचर्स को भी दुख हुआ।और जिन्होंने उसे सुनाया उनको भी बोहोत अफसोस हुआ।परिधि ने ना सिर्फ अपना नाम अपनी तारीफे अपने वो अनमोल रिश्ते बल्कि अपने वो स्कूल को भी खो दिया जहा रहना उसे स्वर्ग जैसा लगता था। वो जो सबसे मजबूर दोस्ती हुआ करती थी अब वो भी अधूरी रह गई। परिधि तो चले गई उसके जाने के बाद ना वो दोस्ती रही ना वो पहचान।




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