मंजिल और रास्ता
सदियों से चल रही थी जिन रास्तों पर, आज मंज़िल के क़रीब आके पता चला कि ना ये मंज़िल हमारी है और ना ये राह सही है, पर कैसे भुला दें इस मंज़िल को जिसके लिए हमने सदियों का सफ़र तैं किया?
कैसे...
कैसे...