...

4 views

दोस्ती या प्यार
इत्तेफ़ाक, कभी कभी हम किसी ऐसे दोस्त की तलाश में होते है , जो हमको समझ सके ,हमारे खामोशी को को समझ सके ,हमारे दुखो में भले शामिल हो ना हो पर हमारी खुशियों में जरूर शामिल हो , वो किसी और की वजह से हमे नजरंदाज ना करे ,वो सिर्फ मेरी हो और किसी की नही हो ,हम ऐसे ऐसे उम्मीद अपने मन में पाल कर रखते है ,और ढूंढते फिरते है उस दोस्त को जो उसकी सारी उम्मीदों पर खरी उतर सके ।
पर तभी हम इत्तेफ़ाक से किसी ऐसे शख्स से टकरा जाते है ,जो हमे ऐसा अहसास दिल में जगा देते है की जैसे वो ही हमारी सारी उम्मीदों पर खरे उतर सके ,और हम उस पर हद से ज्यादा भरोसा कर लेते है ,और वो शख्स भी हमे ऐसा यकीन दिला देता है की हम उस पर यकीन कर सकते है ,वो हमारा वो दोस्त बन सकता है जिसको उसको बरसो से तलाश थी ।
और ऐसी ही एक कहानी एक ऐसे इंसान की है जो आज भी एक वैसे दोस्त की तलाश कर रहा है ।
कहानी की शुरुवात होती है , एक मासूम से छोटे से बच्चे से जो की सिर्फ अभी दस साल की है , वो कहने को तो लड़की है पर रहती हमेशा लडको की तरह है ,वो लडको को तरह कपड़े पहनती है उनकी तरह छोटे छोटे बाल रखती है, पर इसका मतलब कुछ लोग और ही निकालते थे ,
खैर उस छोटे मासूम बच्चे का नाम था कार्तिक ,सब उसे प्यार से किट्टू कह कर बुलाते थे , हां उसने अपना नाम भी लडको वाला ही रखा था उसे देख कर कोई भी नही कह सकता था की वो एक लड़की है , और इसलिए हम इसे एक लड़के के किरदार में ही देखते है
कार्तिक का स्वभाव सामान्य था पर थोड़ा सा मजाकिया किस्म और बहुत ज्यादा गुस्सैल किस्म का। भी था , इन सबके बावजूद उसकी जिंदगी सामान्य नही थी ,क्योंकि कार्तिक हमेशा से ही एक दोस्त ही तलाश में था ,वो बचपन से ही एक दोस्त की तलाश करता रहता है , उससे जो कोई भी प्यार से बात करता या फिर उसकी मदद करता था ,उसे ही वो अपने मन में दोस्त बना लेता था ,पर कुछ समय बाद उसे अहसास हुआ की उसका कोई दोस्त ही नही है ।
कार्तिक उस दोस्त की तलाश में इधर उधर भटकता रहता था ,और फिर धीरे धीरे वो बड़ा होता चला गया और उसकी उम्मीद एक दोस्त की तलाश धीरे धीरे खत्म होते चली जा रही थी ,क्योंकि वो जितने भी लोगो से मिला था ,उन लोगो से उसे कोई उम्मीद जगी ही नही थी ,
और वो अपनी उम्मीदों को खत्म करते हुए उसने इंटर की पढ़ाई के लिए उसने एक स्कूल में एडमिशन लिया ,और उसने ये फैसला किया की अब वो सिर्फ पढ़ाई करेगा और दोस्ती जैसे उम्मीद को अपने दिल नहीं जागने देगा , पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था ,
कार्तिक अपने स्कूल में पहली बार पढ़ाई करने जाता है ,क्योंकि उसने अपने घर पर रह कर ही पढ़ाई करता था ,उसे स्कूल जाने का मन नहीं करता था ,पर आज पता नही कैसे उसका मन स्कूल जाने को करने लगा था ।
कार्तिक अपने स्कूल पहुंच जाता है ,और सीधे अपने क्लास में चला जाता है ,पर अभी क्लास शुरू होने में वक्त था ,इसलिए अभी सारे बच्चे क्लास में आ रहे थे ,उस क्लास के सभी बच्चे एक दूसरे से बाते कर रहे थे ,पर कार्तिक अपनी एक सीट पर चुप चाप बैठ कर अपनी किताब पढ़ने लगता है ,क्योंकि वो नही चाहता था की उससे कोई भी बात करे ।
पर तभी कार्तिक का दिल जोरो से धड़कने लगता है ,कार्तिक अपने दिल की इस तरह से धड़कने को लेकर परेशान हो जाता है ,वो समझ नही पाता है की आखिर ये हो क्या रहा है ,तभी उस क्लास में एक लड़की की एंट्री होती ,जिसे कार्तिक की आंखे देखने लगती है ,वो दो चोटी करके एक दम साधारण सी लड़की होती है ,जिसे देख कार्तिक का दिल और तेज से धड़कने लगता है ।
वो लड़की इधर उधर देखती है ,की कहा सीट खाली है , अभी वो अपनी सीट ढूंढ ही रही होती है की तभी उस स्कूल की घंटी बज जाती है ,जिससे की अब सभी क्लास पढ़ाई करने के तैयार हो जाते है , बच्चे भी अपनी अपनी जगह पर बैठ जाते है ।
पर वो लड़की अभी भी अपनी सीट ढूंढ रही थी तभी उस क्लास की टीचर पढ़ाई कराने के लिए आ जाती है ,अब वो लड़की क्या करती ,वो लड़की कार्तिक को तरफ देखती है , जहा पर कोई भी नही बैठा था ,उस लड़की के पास और कोई चारा नहीं था ,इसलिए वो कार्तिक के बेंच पर उसके बगल में जाकर बैठ जाती है ।
उस लड़की को अपने पास बैठते देख अब तो कार्तिक के पसीने छूटने लगते है ,उसको ऐसा लग रहा था की अब वो बेहोश होने ही वाला है ,पर अगर वो स्कूल के पहले ही दिन बेहोश हो गया तो ,उस क्लास के बच्चे पता नही क्या सोचेंगे ।
क्या वो लड़की वही थी जिसे कार्तिक बचपन से ढूंढ रहा था ,या फिर ये सिर्फ एक इत्तेफ़ाक था ,ये तो आगे की कहानी को पढ़ने के बाद ही पता चलेगा पर अभी के लिए ये कहानी यही पर विराम लेती है ,और मिलते है अगले भाग में


© Nishu