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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में है।।
जिससे वह अपनी स्त्रीत्व व नारीत्व के लोभ को समाप्त करती वैसे ही इस गाथा में नारित्व की आसीमता भी तथा स्त्रीत्व की आसीमता भी शून्य हो जाती है।। जहां स्त्रीत्व शून्य है तो वहां नारित्व स्वयं शून्य बन जाता है।। जहां स्त्रीत्व व नारीत्व दोनों ही शून्य भाव में स्पष्ट हुए हो।। तथा अपना विभकितश्रोत कालश्रोथ लिगश्रोथ जातिश्रोत सबकुछ शूनयमय कर ले वहां किसी चीज की आसीमता संभव व उसमें कोई अन्त प्रकृट नहीं हो सकता है।। शून्य की आसीमता ही
प्रेम की आसीमता कहलाकर प्रकाशित होती हैं।
अन्त शून्य की आसीमता ही आत्मा होकर ही परमात्मा के रूपांतरण में संभव व अन्त घोषित हुई इच्छा व स्वार्थ व लोभ के कारण ही यह असत्यता होकर अनन्त तथा असंभव की श्रृंखला में ही रचित होकर के ही पर्याप्त है।।
स्वांग ही शून्य है तथा शून्य ही प्रेम है।।"
"स्वांग ही शून्य है शून्य ही प्रेम ही तंत्र है तंत्र ही मंत्र हि माया यद्यपि समस्त पीडिया सा कादामि लोकोकतानि समाप्तिति भवल सा केवलम् शरीर नष्टानि सा रूहम् कादामि समाप्तयति सा रूहम् स्वांगानि भवति यद्यपि केवलम् माटीकानि नष्टानि भवति सा रूहम् कर्मम् कादपि नष्टानि भवति सा अनन्त कालम् भृमणयाम केवल सा रूहम् रूपांतरणनि केवलम् सा माटीकानि समसत्रम् योनीयम् कर्मा बीचम् नार्याणि फलम् योग्यतानि सा फलम् प्रदानयनति भवा सा रूहम् कादामि कर्मम् नष्टानि सा कादामि लोकोकतानि समाप्तिति यद्यपि सा कादामि फलम् योग्यताति
भवत।। एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त की जरमसुख की बुझी प्यास दास्तान ए जंग में।।
#सत्यतानि😔