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शर्त
#शर्त

हां, चंदन को शर्त लगाना और जीतना बहुत पसंद था। लोग उसे शर्तिया चंदन कहकर बुलाते थे। आज फिर उसने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा। हवेली के मालिक को यह बात पता चली तो उन्होंने कहा, "चंदन, यह तो बड़ी मुश्किल काम है। यदि तुम हार गए तो तुम्हें सजा मिलेगी।"

चंदन डरा नहीं, बोला, "मैं हार नहीं सकता।"

रात होते ही चंदन हवेली के बगीचे में घुस गया। अंधेरे में टहलते हुए उसने देखा कि एक पेड़ पर दस आम लगे हैं। चंदन खुशी से झूम उठा। उसने एक लकड़ी उठाई और पेड़ पर चढ़ने लगा।

तभी उसे डर लगने लगा। पेड़ बहुत ऊंचा था और नीचे गिरने का डर था। उसने सोचा, "अगर मैं गिर गया तो मुझे चोट लग जाएगी।"

चंदन डरकर नीचे उतरने लगा। तभी हवेली का मालिक बगीचे में आ गया। उसने चंदन को पेड़ से उतरते हुए देख लिया।

हवेली के मालिक ने कहा, "चंदन, तुम हार गए। अब तुम्हें सजा मिलेगी।"

चंदन ने कहा, "मैं हार गया हूँ, लेकिन मुझे सजा नहीं चाहिए।"

हवेली के मालिक ने कहा, "ठीक है, मैं तुम्हें सजा नहीं दूंगा। लेकिन तुम मुझे बताओ कि तुम पेड़ पर क्यों चढ़ रहे थे?"

चंदन ने सारी बात बता दी।

हवेली के मालिक ने कहा, "चंदन, तुम बहुत बहादुर हो। तुमने हार नहीं मानी। मैं तुम्हें दस आम देता हूँ।"

चंदन खुशी से झूम उठा। उसने हवेली के मालिक को धन्यवाद दिया और दस आम लेकर घर चला गया।

इस घटना के बाद चंदन ने शर्त लगाना छोड़ दिया। उसने सीख लिया था कि हार मानना कभी भी बुरी बात नहीं होती।


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