भय ..एक छलावा
एक परम सिद्ध महात्मा प्रात: भ्रमण के लिए आश्रम से बाहर निकले ।प्रात: ब्रहृ मुहुर्त की अमृत वेला थी और सूर्योदय हुआ नहीं था तो सब तरफ अंधकार था ।
उस अंधकार में महात्मा ने किसी काली छाया को बस्ती की तरफ जाते देखा तो महात्मा ने पुकारा- कौन है, किधर जा रहा है ?
वह काली छाया रुकी और प्रणाम करते हुए बोली- हे महात्मा! आप निस्संदेह कोई दिव्यचक्षु प्राप्त सिध्द महान आत्मा है तभी मुझे देख सके क्योंकि मनुष्य योनि का प्राणी तो मुझे देख पाने वाली दृष्टि...
उस अंधकार में महात्मा ने किसी काली छाया को बस्ती की तरफ जाते देखा तो महात्मा ने पुकारा- कौन है, किधर जा रहा है ?
वह काली छाया रुकी और प्रणाम करते हुए बोली- हे महात्मा! आप निस्संदेह कोई दिव्यचक्षु प्राप्त सिध्द महान आत्मा है तभी मुझे देख सके क्योंकि मनुष्य योनि का प्राणी तो मुझे देख पाने वाली दृष्टि...