बाजियाँ पलट भी जाती हैं..
बाजियाँ पलट भी जाती हैं दुश्मन मरा भी करते हैं साहिब..
क्यूंकि हौसले जब उड़ान भरा करते हैं साहिब..
क्या हस्ती फिर तूफानों की जो तिल भर भी हिला पाये
तभी तो आँधियों में भी चिराग़ जला करते हैं साहिब..
क्यूंकि हौसले जब उड़ान भरा करते...
क्यूंकि हौसले जब उड़ान भरा करते हैं साहिब..
क्या हस्ती फिर तूफानों की जो तिल भर भी हिला पाये
तभी तो आँधियों में भी चिराग़ जला करते हैं साहिब..
क्यूंकि हौसले जब उड़ान भरा करते...