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रिश्वत
रिश्वत ....
साहेब बहुत अच्छी नौकरी मे है , संस्कार ऐसे मिले थै की सम्पूर्ण गीता जैसे खून की एक एक बूंद में मौजूद थी, धर्म और न्याय तथा कार्य के प्रति समर्पण ये सब तो जैसे उसके बाऊजी ने घोल घोल कर पिलाये थे... आज सुबह सै ही अनमने और चिंता में लग रहा था पडौस में रहने वाले सुरभित जिसकी कुछ वर्षपहले मृत्यु हो गयी थी ,कोई फैक्टरी में काम करता था दो बच्चे थे उसकी मौत के बाद.. उसकी पत्नि जो ज्यादा पढी लिखी नहीं थी इधर उधर काम करके बच्चो को पाल रही थी.. कभी कभी उनकी स्कूल फीस भरने कै लिये साहेब मदद किया करता था और होली दिवाली अपने बच्चो के पटाखे लाता तो थोडे उनके लिये भी,जो छोटी मोटी बन पडती मदद कर देता था.. कल सुबह ही वह घर आयी थी.. बेटे को सांस की नली...