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आत्म संगनी से मिला स्नेह अपरंपार

यूं तो आत्म संगनी से मेरे बंधन को लगभग 2वर्ष का स्वर्णिम समय हो चुका था लेकिन आत्मा का मिलन वास्तविक मिलन के बिना कुछ अधूरा अधूरा सा था।
गत दिनों एक सपना साकार हुआ मुझे मेरी प्रियेसी का दीदार हुआ,उसका छुआ ,उसको चुम्बन किया,उसको महसूस किया।उसके स्पर्श को महसूस किया,महसूस की उसके बदन की खुशबू,महसूस किया उसका आलिंगन,महसूस किया उसके हृदय के कम्पन को।
उसकी आंखों में मेरे प्रति भरे स्नेह के समंदर में मैने अपने आप को पाया। उसके आंसू भरे नयन लगातार मेरी सूरत पर टिके थे,उसका हाथ मुझे छू रहा था और मेरे अंदर एक समंदर लगातार उफान भर रहा था। उसको मुझे टकटकी बांधे देखते रहना मुझे अजीब सा सकुन दे रहा था। उससे...