वार्णिका - अनोखे प्रेम की दास्ताँ! ( भाग - 2 )
वार्णिका जैसे ही अपने कदम वापस से घर की ओर लेती है तो उसकी आँखों पर तेज सी रोशनी पड़ती है वह जब सामने देखती है तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है क्योंकि,,,,आगे,,,,,
क्योंकि सामने से एक कार तेज रफ्तार के साथ वार्णिका की ओर बढ़ रही होती है जिसे देखकर वह अपने होश खो बैठती है वह बेहोश होकर नीचे जमीन पर गिरने ही वाली होती है की तभी एक अनजान लड़का पीछे से उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लेता है।
वह लड़का वार्णिका का हाथ अपनी ओर खींचकर उसे अपनी बाहों में समेट लेता है वार्णिका बेहोशी की हालत में अपनी आँखों को थोड़ा-सा खोलती है और एक नज़र उस लड़के की आँखों में आँखें डालकर देखती है।
उस लड़के की आँखों में एक अजीब सी चमक थी एक अपना- पन था जैसे वह उसे पहली भी कहीं देख चुकी है जैसे वह उसे जानती है जैसे उनका एक दूसरे के संग पहले से कोई रिश्ता हो।
तो वही चांदनी रात की...
क्योंकि सामने से एक कार तेज रफ्तार के साथ वार्णिका की ओर बढ़ रही होती है जिसे देखकर वह अपने होश खो बैठती है वह बेहोश होकर नीचे जमीन पर गिरने ही वाली होती है की तभी एक अनजान लड़का पीछे से उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लेता है।
वह लड़का वार्णिका का हाथ अपनी ओर खींचकर उसे अपनी बाहों में समेट लेता है वार्णिका बेहोशी की हालत में अपनी आँखों को थोड़ा-सा खोलती है और एक नज़र उस लड़के की आँखों में आँखें डालकर देखती है।
उस लड़के की आँखों में एक अजीब सी चमक थी एक अपना- पन था जैसे वह उसे पहली भी कहीं देख चुकी है जैसे वह उसे जानती है जैसे उनका एक दूसरे के संग पहले से कोई रिश्ता हो।
तो वही चांदनी रात की...