जय श्री कृष्णा,,,
श्री कृष्ण हमेशा हसते रहते हैं परन्तु उन्हें जन्म लेते ही कष्टों का सामना करना पड़ा था। उनकी कहानी बहुत ही निराली है। देवकी मथुरा की राजकुमारी थी कंस कि छोटी बहन। वसुदेव जी के साथ उनका विवाह हुआ बड़ी धूमधाम से।
कंस उनको छोड़ने जा रहा था कि एक आकाशवाणी हुई कि देवकी कि अष्टम संतान ही तुम्हारा काल होगी कंस। ये सुन कर कंस को भय हुआ और उसने देवकी वसुदेव को मारना चाहा परन्तु वसुदेव जी ने कहा कि हम हमारी हर संतान को तुम्हे सौप देंगे बस तुम अपनी बहन की हत्या ना करो। फिर कंस ने उन दोनों को कारागृह में डाल दिया। उनके जैसे ही संतान होती थी कंस वहां आकर उसको ले जाता और मार देता था। भाई बहन के रिश्ते को धूमिल कर दिया था कंस ने अब देवकी जी सातवीं संतान को जन्म देने वाली थी । बलरामजी थे उनको प्रभु ने अपनी माया से रोहिणी वसुदेव की पहली पत्नी के गर्भ में स्थापित किया। अब समय था आठवीं संतान के आने का प्रभु के आने का। कंस भी बेसब्री से इंतजार कर रहा था उनका। प्रभु ने जन्म लिया आधीरात को अंधेरे में जगत के पालनहार ने जमीन पर जन्म लिया कोई बिछोना नहीं था वहां उनके लिए। भगवान ने कितने कष्ट उठाए हैं ये देखो एक शिशु जिसको जन्म लेते ही दूसरी माता के पास जाना पड़ा। और तो और उनकी मा को याद भी नहीं की उनके पुत्र हुआ था। सब प्रभु की माया थी वो। प्रभु अपनी माया से कंस कि योजना को विफल कर दिया। बचपन में उन्हें बहुत असुरों का सामना करना पड़ा। और फिर एक दिन अपने मामा को मारना पड़ा उन्हें कंस को उसके अपराधों के लिए दंडित किया। अपने माता पिता को कारागृह से मुक्त कराया। भगवान जब जब धरती पर आते हैं कष्टों को सहन कर के मानव को सीखा कर जाते है कि सबको जीवन में कष्ट उठाने पड़ते है पर फिर भी कृष्ण की तरह मुस्कुराते रहिए । सबके कष्टों को मिटाते रहिए। भगवान हमेशा प्रेरणा छोड़ कर जाते है मानव के लिए ।
हमें उनके जीवन से सीखना ही चाहिए। और खुद का जीवन ऐसा बनाना चाहिए कि दूसरे आपसे कुछ सीखे।,,,,, बोलो जय श्री कृष्णा,🙏🙏
© #mohini
कंस उनको छोड़ने जा रहा था कि एक आकाशवाणी हुई कि देवकी कि अष्टम संतान ही तुम्हारा काल होगी कंस। ये सुन कर कंस को भय हुआ और उसने देवकी वसुदेव को मारना चाहा परन्तु वसुदेव जी ने कहा कि हम हमारी हर संतान को तुम्हे सौप देंगे बस तुम अपनी बहन की हत्या ना करो। फिर कंस ने उन दोनों को कारागृह में डाल दिया। उनके जैसे ही संतान होती थी कंस वहां आकर उसको ले जाता और मार देता था। भाई बहन के रिश्ते को धूमिल कर दिया था कंस ने अब देवकी जी सातवीं संतान को जन्म देने वाली थी । बलरामजी थे उनको प्रभु ने अपनी माया से रोहिणी वसुदेव की पहली पत्नी के गर्भ में स्थापित किया। अब समय था आठवीं संतान के आने का प्रभु के आने का। कंस भी बेसब्री से इंतजार कर रहा था उनका। प्रभु ने जन्म लिया आधीरात को अंधेरे में जगत के पालनहार ने जमीन पर जन्म लिया कोई बिछोना नहीं था वहां उनके लिए। भगवान ने कितने कष्ट उठाए हैं ये देखो एक शिशु जिसको जन्म लेते ही दूसरी माता के पास जाना पड़ा। और तो और उनकी मा को याद भी नहीं की उनके पुत्र हुआ था। सब प्रभु की माया थी वो। प्रभु अपनी माया से कंस कि योजना को विफल कर दिया। बचपन में उन्हें बहुत असुरों का सामना करना पड़ा। और फिर एक दिन अपने मामा को मारना पड़ा उन्हें कंस को उसके अपराधों के लिए दंडित किया। अपने माता पिता को कारागृह से मुक्त कराया। भगवान जब जब धरती पर आते हैं कष्टों को सहन कर के मानव को सीखा कर जाते है कि सबको जीवन में कष्ट उठाने पड़ते है पर फिर भी कृष्ण की तरह मुस्कुराते रहिए । सबके कष्टों को मिटाते रहिए। भगवान हमेशा प्रेरणा छोड़ कर जाते है मानव के लिए ।
हमें उनके जीवन से सीखना ही चाहिए। और खुद का जीवन ऐसा बनाना चाहिए कि दूसरे आपसे कुछ सीखे।,,,,, बोलो जय श्री कृष्णा,🙏🙏
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