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रॉन्ग नंबर
#रॉन्गनंबर
बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तो ऐसी ही तेज बारिश हो रही थी और बिजली न होने की वजह से सब तरफ घुप अंधेरा था ।हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था कि तभी फोन की घंटी बजी और जीत किसी तरह टॉर्च की रोशनी के सहारे फोन तक पहुंचा तो फोन बजना बंद हो गया।वो वापिस मुड़ने लगा तो फिर से घंटी बजी तो जीत ने झट से रिसीवर उठा लियाऔर कहा,कौन बोल रहा है।
- मैं आरती बोल रही हूं।
- हां आरती बोलो,"जीत ने थोड़ा लापरवाही से कहा"।
-मेरी बात ध्यान से सुनो ,,या तो तुम मुझसे मिलो अभी या मैं आती हूं तुमसे मिलने।
-अरे इस तूफानी रात में क्या मस्ती सूझ रही है।,"जीत थोड़ा झल्ला कर बोला"।
जीत सोचने लगा आज ऑफिस में तो भली चंगी थी।घर जाते हुए भी ठीक ही थी। माना ससुराल बालों से कभी कभी उलझ जाती है पर ऐसी नौबत,,,,,,फिर सोचते हुए बोला।
- आरती आखिर क्या बात हो गई जो इतनी रात और ऐसे मौसम में मिलने को बोल रही हो।
-तुम बस यही करते रहो ।कभी तो बात को समझा करो।अगर कल सुबह मुझे कुछ हो गया तो तुम ही जिम्मेवार होगे,"आरती थोड़े गुस्से से बोली"।उसकी आवाज़ में परेशानी साफ झलक रही थी।जीत को लगा वो सचमुच किसी मुसीबत में है।
- अच्छा अच्छा गुस्सा मत करो।ये बताओ कहां आऊं।
- वहीं
-कहां ,,,ऑफिस
-तुम अभी भी मज़ाक के ही मूड में हो ।
-नहीं मैं मज़ाक नहीं कर रहा ।जल्दी से एड्रेस भेजो।
- ओके,होटल प्लाज़ा
- ये,,,कौन सा होटल है यहां ,,,,एक मिनट ,तुम बोल कहां से रही हो और किससे बात कर रही हो?
- तुम अनिल ही बोल रहे हो न।
- जी नहीं मैं जीत बोल रहा हूं और मैं शिमला रहता हूं।
-ओह सॉरी ,शायद रॉन्ग नंबर लग गया,"कहते हुए उसने फोन काट दिया"।
जीत कुछ देर हक्का बक्का होकर फोन से आने बाली आवाज को सुनता रहाऔर फिर खुद पर ही हंसने लगा।उस लड़की ने तो थोड़ी देर के लिए पूरी तरह उलझा दिया था।चलो शुक्र है रॉन्ग नंबर ही था।