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सुकून की चाय
एक छोटा गैस सिलेंडर , दो चार काम चलाऊ बर्तन और एक सॉसपेन । बस किचन के नाम पर यही पर्याप्त था । फर्नीचर के नाम पर एक लकड़ी की टेबल और एक कुर्सी । पलंग या चौकी की जरूरत नहीं थी । जमीन पर बिछे गद्दे पर ही गहरी नींद आ जाया करती । एक रेडियो जिसपर गीतमाला चलती रहती और बीबीसी का समाचार । हमने नए दौर में भी पुराने गानों को विरासत की तरह समेटे रखा था । बस उसी सिमटी सी दुनिया में फैली हुई जिंदगी गुलज़ार हुआ करती । बस कुछ ही रुप्पयों में जिंदगी...