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एक अलौकिकता की खोज व दास्तान भाग-३
इस बात का परिणाम की अगर उनके अस्तित्व की आसीमता स्त्रीत्व शून्य होकर प्रेम काव्य में उपस्थित है तो फिर इस कलि के कलियुग के कलियौता में अगर अस्तित्व की आसीमता व खोज का इच्छा व स्वार्थ से ग्रस्त होकर उसका वास्तविक परिमाण शून्य के रूप रूपांतरण चित्रण चित्रक आश्य स्पष्ट हुआ इसका तात्पर्य यह है किइस कलि के कलियुग के कलियौता में असत्यता के अस्तित्व की आसीमता अपने वास्तविक आसीमता से प्रभावित होकर वर्जित पाईं गईं।जिसका स्पष्टीकरण देना बहुमूल्य है ताकि हम उस स्पष्टीकरण से यह जान सके कि अस्तित्व अपने लोभ से ग्रस्त इच्छा व स्वार्थ के कारण विफल रहा जो कि हवस के कारण से हुआ मगर उसी तरह नायिका की एक भूल उसके लिए अपने निर्माण के लिए घातक साबित जो कि उसका बहकना था, और यह अब और घातक साबित हुआ जब वो एक सिद्ध स्मारक
बन चुकी थी।।(गाय )इसके चलते हर तरफ कालचकृ में प्रयलयात्मकता के संकेतों से विध्वंस देखने में को समक्ष आया है। तो इस प्रकार लेखक ने सबकुछ शूनयमय करके कालचकृ को खंडित होकर स्वयं के द्वारा दिए गए कलि के कलियुग के कलियौता अमरणीयिका की आसीमता को दोनों ही ओर असतिव व स्त्रीत्व से शून्य में परिवर्तित कर प्रेम की आसीमता को निरंतर प्रकाश की ज्योति प्रदान की व बहुत उज्जवलता
पूर्वक उसे प्रकाशित किया गया था।।इस कलि के कलियुग के कलियौता में असत्यता के अस्तित्व की आसीमता अपने वास्तविक आसीमता से प्रभावित होकर वर्जित पाईं गईं।।
प्रश्नवाचक की खोज व रिसर्च पर आधारित व्ख्या उसकी मरियादा तथा धर्म की पुष्टि से जायज़ साबित गद्यशैलीश्रोतपाठ्य।।
🔴 इस गाथा उम्मीद का सार व असतिव व स्त्रीत्व तथा नारित्व विभकितश्रोत लिगश्रोथ कालश्रोथ जातिश्रोत से कहा, कैसे, क्यों,कब, क्या, किसके लिए, किसके द्वारा।।कुल गौत्र की योनि व चूत की आसीमता का परिणाम व निर्माण तथा स्पष्टीकरण लन्ड के मलभोग द्वारा स्पष्ट करवा जाएगा।। सत्रीभोग -मार्गम् अवधि श्रोत -यौन योनि तथा संभोग चूत मल्यपार्थम्।।
नपुंसकीय आहुतिका श्रापिका की उत्पत्ति का निर्माण नपुंसक समाज व सामाजिकता द्वारा रचित श्रृंखला में इच्छा व स्वार्थ से ग्रस्त का उल्लेखनीय श्रोतक पाठ्य।।

#आलौकिकताकीखोजभाग३🪔
© सावरिया