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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में है।।
और फिर उसे धीरे धीरे धक्के से उसकी योनि में अपना लन्ड डालकर उसकी मरियादा व धर्म को उसकी नारित्व तथा स्त्रीत्व दोनों की ही आसीमता उसके कालश्रोथ लिगश्रोथ जातिश्रोत
विभकितश्रोत की सबसे पहले वह नपुंसकीय स्त्रीत्व को कालश्रोथ जातिश्रोत लिगश्रोथ विभकितश्रोत में डालकर उसे खंडित करेगा फिर नारित्व की आसीमता को शून्य कर वह अपनी आसीमता के साथ उसकी भी आसीमता को भी शून्य कर वह अपनी आसीमता उसकी भी आसीमता के सम्मान सून्यमय कर असत्यमय कर इसे इस तरह इस गाथा को अन्त तथा अनन्त तथा संभव तथा असंभव दोनों में ही नियंत्रित समय की आसीमता का बोध वो गाथा को सून्य ए स्वांग बाज़ारू कर इसे कालचकृ के अंतर्गत घोषित कर देती है।।
🔴और फिर सामाप्न में "एक "असम्भव उम्मीद की बुझी हुई दास्तान ए जंग।।"🪔🪔🪔🪔🪔🙏🙏🙏🙏🙏।।
🔴"स्वांग ही शून्य है तथा शून्य ही प्रेम।।👩‍❤️‍💋‍👨🫂💘💓💞💕💗🩸💓..... एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त का मुख्य केन्द्र -(स्वागं)🙏🙏🙏🙏🕊️🐦🐄💞💗🩸💓💕💞💘🫂👩‍❤️‍💋‍👨🌹💐🦚⭕❣️💔....।।
🔴एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में एक वेशया के तौ तरीके रिश्ते नाते त्योहार बिखर और रात दिन तथा सुबह शाम का वास्ता व एक उम्मीद ए स्वांग बाज़ारू बनकर वह उस जिस्मफरोशी के आगोश में जाकर
एक असम्भव कार्य कर बैठती है।।
🔴एक वेशया के लिए हर रात जशन व बेबसी का होता है अकाज जिसका जिम्मेदार होता स्वांग ए बाजार में उस स्वांग नाट्यकी का जो दिखता है स्वांग ए बाजार में नाट्य जिसमें नायिका ही बहू मूल्य धरोहर है।।🔴ना जाने उस स्वांग ए बाजार में ना जाने कितने भस्म होने हो होंगे तैयार।।

यह एक असम्भव स्वांग नाट्यकी नपुंसकीय सून्यनिका सिद्धिका गोखिका स्मारगीय घोषित होकर स्वागिंनी आत्मिका ही परमात्मिका कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका श्रापिका विध्वंसकीय प्रतिद्वंद्वी सिद्ध गाथा में घोषित हो जाती है।।
🔴गाथा में वेशया का पूजन विधि भोज फल मुख्य उद्देश्य व एकमात्र आखिरी मन्तव्य स्पष्ट कीजिए।।

🔴गाथा ए स्वांग के इस अलौकिक व्यंग में वह एक मात्र बीजिका बनकर उभरती है तथा उसका आश्ररित्यभृमणानाडगर कौन है जो कि इस गाथा का गर्वधारवण बना हुआ भी था जो कि उसका मूल था तथा जिसकी वह हकदार भी थी।।
🔴जो कि वह जब अपनी योनि व चूत को त्याग बलिदान मूल्य समर्पण त्याग रज गुण देकर जब नष्ट कर लेती है तब उसी आश्रितनागर का आश्रय प्राप्त कर गाऊ लोक अर्थात बैकुंठधाम सिधार जाती जहां एक गाऊ की मूर्ति बनकर कालचकृ में प्रस्तुत होकर उसमें लीन व अंतर्धान होकर अपने अस्तित्व की खोज व असीमता पर स्वयं का स्वामित्व पाकर कालचकृ की कालचकृवी बनकर सिद्ध इसको अनन्त व असंभव तक के सामाप्त कर निर्विघ्न संपन्न कर कालचकृ को हमेशा की खोज व असीमता पर मरियादा तथा धर्म को शून्य के रूप रूपांतरण श्रृंखला में रखे जाने के लिए अपना धन्यवाद जताती हैं।।

🔴एक दीर्घ व सबसे महत्वपूर्ण पहलू एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त व असंभव के इच्छा व स्वार्थ के चलते यह हमेशा समय का बोझ व बोध दोनों स्पष्ट करवाती है।।
🔴(समाज कल्याण विभाग द्वारा रचित श्रृंखला)
🔴और यह गाथा का गाथावाचक भी नायिका नायक पद परिचय देना आश्चर्य हो जाता है।।
स्पष्टीकरण की मांग एक असम्भव श्रेणी की आसीमता की मांग के द्वारा रचित गाथा में वर्णित किया गया है जो कि "असत्य"अर्थात एक असम्भव स्वांग नाट्य रूपांतरण श्रृंखला गाथा के द्वारा रचित श्रंखला में लेखक वरिष्ठ लेखिका के द्वारा सिद्ध होकर प्राप्त हुआ।।
🔴इस गाथा का कोई भाग काल्पनिक व धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य नहीं जहां वो किसी भी जाति प्रजाति या समुदाय की आसीमता व खोज हो क्योंकि यह गाथा के रचयता कोई पुरुष नहीं मगर पुरूषलिंग से है तथा वास्तविकता में इस गाथा की नायिका की आसीमता गुप्तनीय रखी गई है (स्पष्टीकरण देते हुए व्ख्या करके उपलब्ध करवाई जाएगी।।)

🔴एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में अन्य भाग रचित श्रृंखला की खोज व प्रस्तुति प्राप्त कर रही उसकी आसीमता से स्वयं के द्वारा रचित श्रृंखला के समस्त व्यंग संग्रह प्रकाशित करते गाथा में हस्तक्षेप करता है लेखक -लेखिका द्वारा रचित श्रृंखला में उपस्थित करवाने के लिए वह दोनों लेखक वरिष्ठ लेखिका तथा नायक -कृष्णानन्द वैशलयकरमी राजपूत तथा नायिका लैसवी हैयास तथा अन्य खलनायिका जैसे -मां, कृशनान्द, अन्य शिवानी शाह खलनायिका तथा रजकशी खलनायक तथा फूलन,हकीम, बलात्कारी, कुम्हारिन, वृध, बुजुर्ग मां।।
नायिका -पिता मृतक 🪔
नायक -माता मृतक🪔
खलनायिका _अनाथ🪔
खलनायक _लावारिस🪔
🔴 यह गाथा अनन्त व अन्त तथा संभव व असंभव कैसे सत्य तथा असत्य पर आधारित है।।
एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में है आश्य स्पष्ट में प्राप्त होता है।।🔴
#स्वागिंनी_#नाटि्का_सून्यनिका_#गोखिका_आत्मिका_#सद्धिका_#परमात्मिका_#गोलोखिका....💔💔💔💔💔💔💔💔
लेखक -लेखिका नायिका नायक
वासुदेव -लैसवी
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस -आत्मा +परमात्मा=परमात्मिका सिद्धनाथ 🦚।।
🔴असत्य तथा सत्य की आसीमता का उल्लेख प्रकृट कर दीजिए।।


यह गाथा में दोनों की पहलू की आसीमता प्राण प्रतिष्ठा समारोह स्वरूप में प्राप्त हुई जिसका कि यह असत्य इसलिए क्योंकि यह गाथा में केवल प्ररमात्मा एक मात्र सत्य जो कि कालचकृ द्वारा कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका श्रापिका विध्वंसकीय लोक्तियो सून्यनिका स्मारक घोषित गो लोक में जाकर सिद्ध स्मारक घोषित हो जाती।।
"सत्य अपने आप ही सिद्ध होकर संभव व अन्त घोषित हो गया।।

मगर वही असत्य को गाथावाचक के द्वारा रचित श्रृंखला में भृमण करने का उपदेश दिया गया ताकि जिससे कालचकृ द्वारा परमात्मा की आसीमता प्रज्वलित हो कर रह सके।।
जिसमें उसने असत्य बनकर उनकी आसीमता पर नियंत्रण रखा ताकि असत्य स्वयं की उनकी आसीमता पर आधारित लेख रोक लगा जिसमें नायिका की स्वयं की योनि व चूत के द्वारा इच्छा व स्वार्थ ने उसके वीर्य से इस गाथा को अखंड घोषित कर सिद्ध कर दिया है।।
इसलिए इसे अनन्त व अन्त तथा संभव व असंभव दोनों में ही जगह गो लोक स्मारक के रूपांतरण चित्रांक शैली श्रृंखला में इसे स्थान प्राप्त हुआ था।।
इस तरह गाथा इससे हमें यह पता चलता है कि असत्य काभी काभी कोई लक्ष्य नहीं प्राप्त कर पता है और धीरे धीरे स्वयं ही नष्ट हो जाता है।।
और उसी को हम स्वांग नाट्य रूपांतरण श्रृंखला भी कहते हैं क्योंकि वो पूर्ण रूप से सामाप्त नहीं हो सकता है इसलिए यह एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त व असंभव है।।
मगर वही इसे अश्वधामा अमरणीय मानकर तथा पहले मृतक व सामाप्ति भी कहा जाता है।।
यह गाथा एक से दो तरफा है जिसे हम असत्य ए स्वांग कहते हैं जिसका कोई लक्ष्य नहीं होकर वो विषय हीन मनत्वय हीन लक्ष्य हीन होकर आत्मा होकर परमात्मा कहलाई जाती है इसलिए इस गाथा कोई भी सटीक अन्त तथा अनन्त निश्चित रूप से मिलना असम्भव व अनन्त होकर इसे हर तरफ से सिद्ध घोषित कर गाऊ स्मारक घोषित कर दिए जाता है।।
जैसा कि आप सब जानते हैं कि इस गाथा का विषय है "एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त एक वैशया और अन्य की जिसमें वह एक वैशया दूसरी वेशया का हनन् करते हुए यह गाथा बताती यह एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त व असंभव इसलिए क्योंकि समय की आसीमता स्वांग नाट्य रूपांतरण श्रृंखला होकर सिद्ध होकर उभरती जिसके बाद उसे नामंकित कर पाना मुश्किल ही नामुमकिन है जिसमें एक काली चिड़िया जो कि सामाजिक मानसिकता है वो उसे नीली चिड़िया के द्वारा उस गुनम्यादिनी चिड़िया के परिचय को ही सर्वश्रेष्ठ सर्वप्रथम सर्वोपरि ना मानकर उसे
उस नीली चिड़िया की गुलाम घोषित करता उस काली चिड़िया के द्वारा जो कि असत्य है इसलिए
यह स्वांग ही शून्य होकर शून्यनिका शून्यनिकाविध्वंकीय सिधिका स्मारगीय सौदामिनी गाऊ का आश्रय कहलाता है।।
इस असत्य ए स्वांग बाजार ए रंगभूमि के आलाम ए म्यान का कोई परिचय पद प्राप्त नहीं होकर
इसे अश्वधामा अमरणीय होने पर व्यर्थकीय करार कर देते हैं।।
वहीं सत्य ए म्यान की रंगभूमि में केवल एकमात्र आखिरी मन्तव्य व विकल्प है उस सर्वश्रेष्ठ सर्वोपरि सर्वोच्च सर्वप्रथम परमात्मिका जो कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका श्रापिका विध्वंसकीय लोक्तियो सून्यनिका स्मारक घोषित होकर परमात्मा की आसीमता व स्थापना सिद्ध होकर उभरती जो गौ ए स्मारग घोषित हो चुकी है।।
💔💔💔💔💔💔💔💔💔💞💞💘🐦🕊️🐦🦅 समाज, पिंजरा, पिजरबध्द।।
अब प्रशनवाचक अपने द्वारा रचित श्रृंखला की उचित व रूचिपूर्ण की इस गाथा ए स्वांग की मसाल ए म्यान के स्मारगीय गाऊ स्मारक पर आधारित अपने द्वारा आयोजित श्रेणी व शैली में
प्रत्येक प्रश्न श्रृंखला में मात्र व्यंग, नाट्य, स्वांग,
व असत्य को बताते हुए हैं इसे अनन्त व असंभव
तक श्रेणी के "असत्य से उत्पन्न व स्वार्थ व इच्छा से ग्रस्त स्वांगनीय ए बाजार की मशाल ए म्यान एक असम्भव व अनन्त दस्तक की मशाल की ओर अग्रसर प्रेरित किया करता है।।

जिनका कर्म ही पूजा तथा जाति ही एकता तथा गृहक ही ईशवर तथा स्थान ही मंदिर होता है।।
उन्हें ए बाजार ए स्वांग की मशाल की म्यान द्वारा
कहा जाता है क्या एक उम्मीद ए पैगाम एक अल्फाज़ में हम पिजरबध्द कहकर संबोधित करते हैं।।
"वेशया"-गुनम्यादिनी चिड़िया 🕊️दाव
"समाज -नीली चिड़िया 🐦 नपुंसक
पिजरबध्द -समाज 🦅 नपुंसकीय
एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त व असंभव के इस मंच उसे "आशियाने ए स्वांग के बाजार की रंगीनी गज़लिका या गज़लवादिनी कौन कौन से पुकारता है।।(स्पष्टीकरण की मशाल ए स्वांग बाजार मांग की दस्तक ए स्वांग का मंजर उसकी
आसीमता को उसके अस्तित्व व स्त्रीत्व तथा नारित्व को प्राप्त कर उसकी मरियादा व धर्म से स्थापित उसके अस्तित्व को निर्मित व उजागर करने के लिए आगे तत् प्रस्तुत होने के तैयार है।।

मगर एक अलौकिक शक्ति व स्तंभ की आसीमता जो आत्मा के रूपांतरण में परिवर्तित होकर परमात्मा में विलीन होकर उनकी इच्छानुसार इस गाथा एक सिद्ध गौ स्थापितका के रूपांतरण श्रृंखला में बिरोहकर एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में उसे महा_बहु_लोकोक्ति के रूपांत्रित में गठित किया गया है।।

इस वर्णित गाथा में सभी योनि में प्रवेश कर कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका श्रापिका विध्वंसकीय आदि लोकोक्तिय से ग्रस्त व मज़ूबूर, पीड़ित, बेईमान, पेशेवर के द्वारा रचित श्रृंखला में उसे उसके समस्त पीठों के द्वारा रचित श्रृंखला काव्य श्रोत तथा गघ्श्रोत उसे" महालोक्तिका सिद्ध गौ स्मारक सथापिका "होने का वर्णित श्रृंखला में वरदान प्राप्त होगा।।
🔴प्रश्नवाचक -"महालोक्तिका सिद्ध गौ स्मारक सथापिका सिद्धका गोखिका सौदामिनी की योनि व चूत के इच्छा व स्वार्थ की खोज व असीमता का उल्लेख व निर्माण हेतु अध्ययन प्रस्तुति पेशकश की खोज व आलेख की मांग करने की याजिका की गई है।।
🔴 जिसमें वह "महालोक्तिका सिद्ध गौ स्मारक सथापिका सिद्धका गोखिका सौदामिनी से उसके समस्त लोक्तियो द्वारा उसके समसत्र पीठों की आसीमता प्रकट व प्रदान तथा प्रदर्शन प्रस्तुति पेशकश करने की याजिका दर्ज करवाने को लेखक गाथावाचक से विनम्र निवेदन से आग्रह कर कह देता है।।
"#एक_असभंव_प्रेम_गाथा_अनन्त_एकवैशया_और_अन्य_की_महालोक्कितियो_की_सिद्ध_बुटि।।"🦅🐦🕊️🐄🐺 🧕
संबंध _
पहला-कृशन्नाद-शिवानी....I(काम करते करते संबंध में आ गए थे।।)
दूसरा -शिवानी -रजकशी...II(पहले संबंध स्थापित हो चुके थे।।)
तीसरा -रजकशी -लैसवी..III(गैर संबंध स्थापित हुए थे।।)
चौथा -लैसवी -कृष्णानन्द..IV(शादी हो चुकी थी)
पांचवी -लैसवी -रजकशी..V(गर्भवती हुई थी)
छठवीं -रजकशी -शिवानी..vi(उसे छोड़कर इसको शारीरिक संबंध बनाने के लिए उकसाया था)
मगर इतफाक ये है कि वो आपस में जुड़े हुए थे ❤️💘💞👩‍❤️‍💋‍👨

🌟 कृष्णानंद की गर्लफ्रेंड थी शिवानी 💓💕💞
🌟 शिवानी का एक्स था कृष्णानंद 💘💘💔💔
🌟 रजकशी और लैसवी गैर संबंध 👅👅

🌟 कृष्णानंद की पहली बीवी थी💔💔💔👩‍❤️‍💋‍👨👩‍❤️‍💋‍👨👩‍❤️‍💋‍👨🖕🖕 संबंध स्थापित करने सुरू कर दिया थे।।
🌟 कृष्णानंद की नाजायज औलाद लैसवी के पेट में पल रही थी 👅👅👅
🌟 रजकशी ने शिवानी को लैसवी के लिए छोड़ दिया था 💔💔💘💘 रजकशी ने शिवानी से जबरदस्ती संबंध स्थापित करने को कहा था।।
🌟 रजकशी शिवानी को लैसवी के लिए मारने की कोशिश की जो उसकी दोस्त वास्तविक में मुलाजिम थी मगर वास्तविक उसकी वजह से वो और लैसवी एक नहीं हो पाए थे।।
मगर इससे पहले ही कृष्णानंद उसे मार डाला था 💘 जिसके बाद उसने भी शिवानी को चीर फाड़कर घायल पखेरू उसकी जांघों के बीच
"बस करो बहुत हुआ मार दो-मुझे कहती वो खून से लथपथ कराह रही थी।।
कुछ घायल और जख्मी होने पर आखिरी अल्फाज़ ए म्यान ए स्वांग के बाजार के इस मेले उसके अल्फाज़ थए-"आह आह ओह ओह उफ आह आह आह आह उह उह उह ओह ओह उफ"
जैसे मानो उसकी जांघों के बीच के पखेरू दर्द से कराह रहे हो और नजात की गुहार लगा रहे हो।।
कृष्णानंद संग शिवानी शाह को मारा गया था रजकशी द्वारा जिसमें पहले नायक खलनायिका
के जिस्म को जाने स्पष्टीकरण उल्लेख किया था।।
नायक रजकशी प्रोटागौनिष्ट 💘💔👅💋🐦🐄...👩‍❤️‍💋‍👨
खलनायक कृष्णानंद नायिका लैसवी प्रोटागौनिष्ट 💘💔👅👅🖕🖕👩‍❤️‍💋‍👨।।

🌟🌟🌟🦅समाज
🕊️ गुनम्यादिनी
🐦पुरुष
जिसमें उस समाज 🦅 से ग्रस्त होकर रोगिन होकर उसके नपुंसकीय स्तंभों से ग्रस्त होकर 🐦 वह पुरुष से योगिनी रोगिनी गुनम्यादिनी चिड़िया 🕊️ होकर वह अपनी डायरी के पन्नों में
कुछ उजागर कर ती दिखाई देती है।।

उसकी उस डायरी के पन्नों का वर्णित विषय
"स्मृतियों की पोटली का गुलदस्ता"💔💔

एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त व अन्त तथा संभव व असंभव के सिद्ध होने से और होकर एक बैठकुन्धाम में गाऊ स्मारक बनकर सिद्ध व स्त्रीत्व व नारीत्व को भेद के अस्तित्व की आसीमता कि खोज व आलेख कर उसकी बलि चढ़ी जाती है जिसे हम महालोक्तिका स्वागिंनी के पीठों से जानते हैं जैसे जो कि है-नपुंसकीय, आहुतिका विध्वंसकीय श्रापिका शून्यनिका हिनका गोखिका सौदामिनी सिधिका स्मारगीय गाऊ प्रतिद्वंद्वी के नामांकन श्रोत स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण ने एक स्मारक घोषित कर चुके हैं लेकिन इस गाथा का विषय ही उस स्मारक सिद्ध होने से लिया गया है जिसके कारण इसका निर्माण उसी स्मारक के बल पर ही निर्भर करता हुआ है ।।🙏🙏🪔🪔💔💔🐄🐦🕊️🦅🐺👄👅💋💞🩸❤️💐💖💕❤️❣️🖕🐤।।
एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त एक वैशया और एक अन्य की।।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

प्रश्नवाचक
🔴 हां मैं वैशया बन गई!
🔴 वैशया मानसरोवर!
🔴 एक ऐसी गाथा जो सच्च में आप रूला देगी।
🔴 जिस्मफरोशी करने वाली हर औरत वैशया नहीं होती।।
🔴 एक वैशया से शादी करो प्रशनवाचक।।
🔴मैं वो हू एक असम्भव मंजर ए स्वांग म्यान मंजर बुनती है।।
🔴जिसे हम एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त एक वैशया और अन्य के नाम से प्रसिद्ध प्रकाशित तथा प्रचलन में लेकर प्रदर्शन प्रस्तुति पेशकश करते हुए आए हैं।।

🔴लोग जिसका कोई कालश्रोथ विभकितश्रोत लिगश्रोथ जातिश्रोत नहीं पूछते जिसने सबको एक असम्भव नजर से निहारा जो चतुर्थ योग में सारी स्त्रियों की आसीमता से प्रभावित ना होकर सबको एक असंभव नज़र से निहारा करती है, जिसके पास हर लिगश्रोथ कालश्रोथ जातिश्रोत विभकितश्रोत का स्तंभ मिलेगा जो इस असत्य स्वांग नाट्य रूपांतरण श्रृंखला में एक मात्र सर्वश्रेष्ठ सर्वोपरि सर्वोच्च सर्वप्रथम सर्वोपरि योनि चूत गान्ड है वहीं हूं मैं वहीं अल्फाज़ ए स्वांग म्यान की मशाल की बुनियाद की आसीमता हूं मैं इस गाथा में वेशया एकमात्र आखिरी मन्तव्य मंजर ए स्वांग म्यान आलम ए साहिब के बाजार की एकमात्र आखिरी आजमाइश व नुमाइश हूं।। अर्थात मैं ही एक मात्र इस गाथा के अनन्त व असंभव प्रेम गाथा अनन्त व असंभव होने का एकमात्र आखिरी मन्तव्य व अल्फाज़ ए मंजर वैशया का फोटोफ्रेम मैं ही हूं ।।जिसमें यह गाथा अनन्त व असंभव आश्य बनकर उभर कर सिद्ध घोषित हो जाती है।।
🪔मैं एक वैशया हूं।।🪔
🐦🍌🖕🕊️
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